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महाघोटाले में फंसे पीएनबी को जनवरी-मार्च में 13,417 करोड़ रुपये का महाघाटा

नयी दिल्ली : ज्वैलरी कारोबारी नीरव मोदी के महाघोटाले में फंसे पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को जनवरी-मार्च की अवधि में 13,416.91 करोड़ रुपये का महाघाटा हुआ. सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक के लिए यह सबसे बड़ा त्रैमासिक घाटा है. यह मुख्य रूप से फंसे कर्ज के लिए ऊंचे प्रावधान के चलते हुआ है. बैंक ने […]

नयी दिल्ली : ज्वैलरी कारोबारी नीरव मोदी के महाघोटाले में फंसे पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को जनवरी-मार्च की अवधि में 13,416.91 करोड़ रुपये का महाघाटा हुआ. सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक के लिए यह सबसे बड़ा त्रैमासिक घाटा है. यह मुख्य रूप से फंसे कर्ज के लिए ऊंचे प्रावधान के चलते हुआ है. बैंक ने 2016-17 की चौथी तिमाही में 261.90 करोड़ रुपये का एकल मुनाफा कमाया था.

इसे भी पढ़ेंः PNB Scam : सीबीआई का पहला आरोपपत्र, नीरव मोदी समेत पूर्व पीएनबी प्रमुख अौर वरिष्ठ अधिकारियों के भी नाम

बैंक ने कहा है कि नीरव मोदी महाघोटाले की वजह से हुए घाटे के मद में उसने 7,178 करोड़ रुपये का प्रावधान आलोच्य तिमाही में किया. इसके अनुसार, यह 14,356 करोड़ रुपये की कुल राशि का 50 फीसदी है. बैंक घोटाले वाले इस खाते की बाकी बची राशि के लिए प्रावधान मौजूदा वित्त वर्ष की बाकी तीन तिमाहियों में करेगी. पीएनबी का कहना है कि उसने फर्जी तरीके से जारी किये गये साख पत्रों (एलओयू) तथा विदेशी साख पत्रों (एफएलसी) के मद में अपनी देनदारियों के लिए अन्य बैंकों को 6,586.11 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.

गौरतलब है कि नीरव मोदी व उसके कुछ सहयोगियों ने पीएनबी के कुछ अधिकारियों से कथित सांठ गांठ में बैंक को दो अरब डाॅलर से अधिक का चूना लगाया. आलोच्य तिमाही में बैंक की कुल आमदनी घटकर 12,945.68 करोड़ रुपये रह गयी, जो एक साल पहले की अवधि में 14,989.33 करोड़ रुपये रही थी. बैंक की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) या फंसा कर्ज इस साल मार्च के आखिर में बढ़कर 18.38 फीसदी हो गया, जो कि एक साल पहले 12.53 फीसदी था. इस दौरान इसका शुद्ध एनपीए 11.24 फीसदी रहा, जो एक साल पहले 7.81 फीसदी था.

राशि के हिसाब से बैंक का सकल एनपीए चौथी तिमाही में बढ़कर 86,620 करोड़ रुपये हो गया. वहीं, समूचे वित्त वर्ष के लिए बैंक को 12,282.82 करोड़ रुपये का एकल घाटा हुआ, जबकि उसकी कुल आमदनी इस दौरान मामूली बढ़कर 56,876.63 करोड़ रुपये हो गयी, जो पूर्व वित्त वर्ष में 56,227.36 करोड़ रुपये रही थी. संचयी आधार पर बैंक को 2017-18 में 12,130.05 करोड़ रुपेय का घाटा हुआ, जबकि 2016-17 में उसे 1,187.24 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.

बैंक के दो कार्यकारी निदेशकों केवी ब्रह्माजी राव तथा संजीव शरण ने मंगलवार को की बैठक में भाग नहीं लिया. बैंक के निदेशक मंडल ने इन दोनों के सभी वित्तीय व कार्यकारी अधिकार सोमवार को ही छीन लिये थे, क्योंकि इनका नाम सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में है.

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