नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का शिकार बने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) मामले में निरीक्षण रपटों की प्रति साझा करने से इनकार किया है. केंद्रीय बैंक ने इसके लिए सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के उन प्रावधानों का हवाला दिया है, जो उन ब्योरों का खुलासा करने से रोकता है जो जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं या दोषियों पर कार्रवाई में असर डाल सकते हैं.
रिजर्व बैंक ने इस बारे में आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा, ‘उसके पास इस तरह की कोई विशेष सूचना नहीं है कि पीएनबी में 13,000 करोड़ रुपये का घोटाला कैसे सामने आया. केंद्रीय बैंक ने इस आवेदन को पीएनबी के पास भेज दिया है. देश के इतिहास में इस सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का खुलासा इसी साल हुआ था.
हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा गीतांजलि जेम्स के प्रवर्तक मेहुल चोकसी इस घोटाले के सूत्रधार हैं. अन्य एजेंसियों और नियामकों के साथ रिजर्व बैंक भी इसकी विस्तृत जांच कर रहा है. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी पर जवाब देते हुए केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि वह बैंकों का ऑडिट नहीं करता. हालांकि, रिजर्व बैंक बैंकों का निरीक्षण और जोखिम आधारित निगरानी करता है.
पिछले दस साल का ब्योरा देते हुए रिजर्व बैंक ने पीएनबी मुख्यालय में 2007 से 2017 के दौरान किये गये वार्षिक निरीक्षण की तारीख का ब्योरा दिया है. 2011 की तारीख नहीं बतायी गयी है क्योंकि वह उपलब्ध नहीं है. निरीक्षण रपटों की प्रतियों और आपत्तियों की रपटों की प्रति मांगने पर रिजर्व बैंक ने कहा है कि आरटीआई की विभिन्न धाराओं के तहत यह सूचना नहीं देने की छूट है.
पीटीआई संवाददाता के आरटीआई आवेदन पर केंद्रीय बैंक ने कहा है कि आरटीआई कानून -2005 की धारा 8 (1) (ए), (डी), (जे) और (एच) के तहत बैंकों की निरीक्षण रपटों तथा अन्य सूचनाओं का खुलासा नहीं करने की छूट है.
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