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स्मार्ट फोन व इंटरनेट के सकारात्मक प्रयोग को लेकर हमेशा सचेत रहें बच्चे

डेल्हा-मंदराज बिगहा स्थित सनबीम एकेडमी में हुआ बचपन बचाओ कार्यक्रम गया : इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आधुनिकता की चाकचौंध में बच्चों का जीवन चहारदीवारी के अंदर कैद हो गया है. वह चाहे अपार्टमेंट में रहनेवाले बच्चों का मामला हो या शहर की संकीर्ण गलियों में स्थित मुहल्ले में रहनेवाले बच्चों […]

डेल्हा-मंदराज बिगहा स्थित सनबीम एकेडमी में हुआ बचपन बचाओ कार्यक्रम

गया : इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आधुनिकता की चाकचौंध में बच्चों का जीवन चहारदीवारी के अंदर कैद हो गया है. वह चाहे अपार्टमेंट में रहनेवाले बच्चों का मामला हो या शहर की संकीर्ण गलियों में स्थित मुहल्ले में रहनेवाले बच्चों का. बच्चों का बालपन इन्हीं गलियों में बीत रहा है. ऐसे माहौल में जी रहे शहरी इलाके के बच्चों के लिए प्रभात खबर की टीम ने बचपन बचाओ अभियान शुरू किया. शुक्रवार को बचपन बचाओ अभियान के तहत शहर के डेल्हा-मंदराज बिगहा स्थित सनबीम एकेडमी में सेमिनार का आयोजन किया गया. वहां एक्सपर्ट के रूप में मौजूद गया कॉलेज के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ धनंजय धीरज व प्रभात खबर के वरीय संवाददाता रोशन कुमार ने बच्चों से काफी लंबी बातचीत की. उनके मनों में छिपे सवालों काे भी जानने का प्रयास किया. बच्चों ने खुल कर अपने बचपन व घर के माहौल के बारे में बातचीत की.
सेमिनार में विद्यार्थियों से बातचीत के क्रम में डॉ धनंजय धीरज ने कहा कि ऐसा देखा गया कि स्मार्ट फोन और इंटरनेट के प्रयोग के प्रति काफी उत्सुकता एवं जिज्ञाषा है. व्हाट्सएप व फेसबुक का प्रयोग आज ज्यादातर विद्यार्थियों के लिए जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है. ऐसे में किशोरावस्था के इन विद्यार्थियों को सीधे-सीधे तकनीकी के प्रयाेग से रोकना बेईमानी होगी. अावश्यकता इस बात की है कि बच्चों को टेक्नोलॉजी के सकारात्मक प्रयोग एवं शिक्षण अधिगम के लिए इसका प्रयोग कैसे किया जा सकता है,
इस बात के लिए जागरूक करना चाहिए. क्योंकि, यदि एक बार इन विद्यार्थियों को टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया का आनंद मिलने लगेगा तो यह अपने खाली समय में, घर में, विद्यालय परिवेश के बाहर या सफर के दौरान भी कहीं भी कभी भी शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. एेसा करने से समय के सदुपयोग के साथ जानकारी भी बढ़ती है और हम अपने लक्ष्य की ओर भी संवेदनशील रहते हैं. उन्होंने कहा कि सबसे मजेदार बात तो यह है कि शैक्षिक तकनीकी के प्रयाेग से प्रत्येक विषय के पठन-पाठन को सरलीकृत कर रुचिकर एवं आनंददायी बनाया जा सकता है.
अादित्य शर्मा का सवाल-क्रिकेट खेलना चाहते हैं, लेकिन बड़े भाई डांटते हैं. क्या करें?
आपके माता-पिता, अभिभावक, बड़े भैया या दीदी कभी-कभी आपके अवांछनीय व्यवहारों के लिए आवश्यकता से अधिक किसी भी क्षेत्र में अभिरुचि के लिए स्वाभाविक रूप से ऐसा करते हैं. उदाहरण के लिए माेबाइल फोन के प्रति अधिक प्रेम, खेल में आवश्यकता से अधिक रुचि, मित्रों के बीच अधिक समय बीतना आदि ऐसी कई अवस्थाएं या परिस्थितियां हैं, जिससे आपके अभिभावक आपको बचाना चाहते हैं, ताकि आपका भविष्य सुरक्षित व उज्ज्वल हो. विद्यालय एवं घर के कार्यकलाप व गतिविधियों में एक समन्वय स्थापित कीजिये. खेल, पढ़ाई-लिखाई व मनोरंजन के घंटे सुनिश्चित कीजिये. स्मरण रहे कि एक का समय दूसरे कामकाज में न जाये. ऐसा होने पर आप अपने अभिभावक का विश्वास जीत सकते हैं.
श्रेया का सवाल-फेसबुक व वहाट्सएप चलाने से अभिभावक क्यों मना करते हैं?
आये दिन ऐसा देखा जा रहा है कि सर्वेक्षणों के मुताबिक विश्व के ज्यादातर देशों में बच्चों के बीच फेसबुक व व्हाट्सएप के नकारात्मक प्रयोग बच्चों को प्रभावित कर रहे हैं. कई ऐसे ऑनलाइन गेम्स भी हैं, जिससे बच्चों में नकारात्मक प्रभावों को बढ़ते हुए देखा गया है. इसी कारण से अभिभावक आपको रोकते हैं. वहाट्सएप व फेसबुक का प्रयोग यदि अाप अपने पढ़ाई-लिखाई को सहायता या गति प्रदान करने के लिए देते हैं, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है. उदाहरण के लिए, जिस दिन आप अपनी कक्षा में अनुपस्थित रहते हैं, उस दिन का होमवर्क व क्लास वर्क अपने मित्रों से व्हाट्सएप में मंगा सकते हैं. आपमें से कई बच्चे फेसबुक पर अपने शिक्षक से भी जुड़े हुए होंगे. फेसबुक पर वैसे कठिन सवालों को पेस्ट कीजिये, जिसका उत्तर अाप अपने शिक्षक से चाहते हैं.
खुशी आनंद का सवाल-पढ़ाई में मन लगता है, लेकिन मन डायवर्ट हो जाता है. क्या करें?
आपके ध्यान विकर्षण के कई कारण हो सकते हैं. किसी विषय को लगातार लंबे समय तक पढ़ना. किसी विषय में आपकी रुचि नहीं होना. जीवन की कोई घटना या परिस्थिति का बारबार अापके मन मस्तिष्क पर उभर आना. इससे बचने के लिए आप सर्वप्रथम पढ़ाई शुरू करने से पहले उस विषय पर मंथन करें और धीरे-धीरे विचार करते हुए उस प्रकरण पर आयें, जो आपको पढ़ना है. फिर अपनी पाठ्य पुस्तक या नोट बुक की सहायता से आगे की पढ़ाई आरंभ करें. एकाग्रता के लिए आप योग व मेडिटेशन का भी सहारा ले सकते हैं.
कशिश का सवाल-पढ़ने के लिए कौन सा समय सही है?
पढ़ने के लिए उचित समय का निर्धारण आपको अपने शरीर, स्वास्थ्य एवं पारिवारिक परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं तय करना चाहिए. कोई विद्यार्थी रात में अत्यधिक देर तक पढ़ते हैं, तो उन्हें ज्यादा समझ में आता है. जबकि, इसके विपरीत कुछ विद्यार्थी सुबह उठ कर पढ़ते हैं, तो उन्हें ज्यादा समझ में आता है. नींद का भी पूरा होना, एक आवश्यक तत्व है. आप अपने पढ़ाई के समय के अलावा एक नियमित एवं अच्छी नींद भी लें. वैसे प्रकृति के अनुरूप जल्दी सोना और जल्द उठना अत्यधिक हितकारी है.

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