रामकथा वाचक मोरारी बापू ने दी सलाह
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राम मंदिर संवाद से बने, विवाद से नहीं
रामकथा वाचक मोरारी बापू ने दी सलाह जमशेदपुर : प्रख्यात रामकथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर संवाद से ही बन सकता है, विवाद से नहीं. बापू सीएच एरिया स्थित दीपक टांक के आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उनकी दिली इच्छा है कि पाकिस्तान में […]
जमशेदपुर : प्रख्यात रामकथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर संवाद से ही बन सकता है, विवाद से नहीं. बापू सीएच एरिया स्थित दीपक टांक के आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उनकी दिली इच्छा है कि पाकिस्तान में नौ दिनों की रामकथा करूं, साथ ही मुशायरे का भी आयोजन हो. भारत के लोग पाकिस्तान जाकर देखें और वहां के लोग भी कथा सुनें या मुशायरा. इससे दोनों देशों के बीच शांति की एक बड़ी पहल हो सकेगी. मोरारी बापू ने कहा कि पाकिस्तान जाने का मकसद शांति की पहल करना है, हालांकि मेरी इच्छा कब पूरी होती है, यह देखनेवाली बात है.
जमशेदपुर में शांति है, लोगों में धर्म-अध्यात्म के प्रति है झुकाव : मोरारी बापू ने कहा कि 31 साल बाद वे जमशेदपुर आये हैं. यहां मेरी दृष्टि में चहल-पहल तो है, लेकिन यहां काफी शांति है. लोगों में धर्म-अध्यात्म के प्रति अद्भुत झुकाव है. यह झुकाव युवाओं में सबसे अधिक दिख रहा है. उन्होंने कहा कि एक वक्त था,
जब एक उम्र के बाद के लोगों के लिए ही धर्म और अध्यात्म का स्थान होता था, लेकिन यहां सभी उम्र के लोग धर्म और अध्यात्म से लेकर सेवा भाव में लगे हुए हैं. यह देश के लिए गर्व की बात है.
शाबाशी भी दें युवाओं को
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सिर्फ डांटने से युवा बिगड़ेंगे. उन्हें शाबाशी भी देने की जरूरत है. आगे कहा कि युवाओं में आत्महत्या और क्रोध ज्यादा दिखाई दे रहा है. सिर्फ डांटने और दबाव देने से युवा वर्ग बिगड़ता है. उनके कंधे पर शाबाशी का हाथ देने की जरूरत है. इससे वे लोग आगे आ जायेंगे.
वृद्धाश्रम का वर्तमान स्वरूप गलत
उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के लिए वर्तमान में वृद्धाश्रम का जो स्वरूप है, वह गलत है. आश्रम बेहतरी के लिए होता है, लेकिन मां-बाप का तिरस्कार कर, उन्हें अलग भेजने की जो परिपाटी चली है, वह गलत है. 50 से 75 साल की उम्र के लोगों को आगे आना चाहिए.
प्रकृति का सिर्फ दोहन न हो
मोरारी बापू ने कहा कि भगवान ने झारखंड को प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण किया है. लेकिन उसका सिर्फ दोहन करने से राज्य का भला नहीं होगा. इसके लिए पर्यावरण की भी रक्षा करने की जरूरत है. इसका पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए.
मेरी इच्छा है पाकिस्तान में नौ दिन की रामकथा करूं, साथ में मुशायरा भी हो
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