कटक : ‘रसगुल्ला’ को दिये गये भौगोलिक संकेतक (जीआई) को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर ओडिशा उच्च न्यायालय ने चेन्नई स्थित बौद्धिक संपदा कार्यालय, पश्चिम बंगाल राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, ओडिशा सरकार और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किये हैं. मुख्य न्यायाधीश विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी आर सारंगी की खंडपीठ ने कल प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए उनसे चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है.
पुण्य उत्कल ट्रस्ट और खुर्दा जिले के संतोष कुमार साहू ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह अधिकारियों को पश्चिम बंगाल को मिले ‘रसगुल्ले’ का जीआई टैग वापस लेने का निर्देश दे. याचिका में दावा किया गया है कि चेन्नई के बौद्धिक संपदा कार्यालय के ट्रेडमार्क और जीआई सहायक पंजीयक ने पिछले साल ‘गलत रूप से’ यह निष्कर्ष दिया था कि इस मिठाई की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल से हुई है. याचिका में दावा किया गया है कि पनीर से बनी इस मिठाई की उत्पत्ति ओडिशा से हुई और इसका संबंध राज्य की जगन्नाथ संस्कृति से है. उसमें कहा गया है, ‘‘करीब 400 वर्षों से हर दिन पुरी के त्रिदेव को रसगुल्ला प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है. यहां तक कि भगवान जगन्नाथ हर साल रथ यात्रा की नीलाद्री बीजे के दौरान क्रोधित देवी लक्ष्मी को शांत करने के लिए इस स्वादिष्ट मिठाई की मदद लेते हैं.’ याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि ओडिशा सरकार ने अपने शांत रवैये के चलते ‘रसगुल्ला’ का जीआई पंजीकरण हासिल करने के लिए उचित कदम नहीं उठाये.