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शरण में आनेवालों का कल्याण करते हैं भगवान : पं. श्रीकांत शर्मा

श्रीमद्भागवत कथा में छठे दिन बोले महाराज कोलकाता : भगवान शरण में आनेवालों का कल्याण करते हैं, जो भी उनकी शरण में आ जाता है, उसका कल्याण होता है. शरण में आनेवालों के कल्याण के लिए भगवान अपने ऊपर कलंक तक ले लेते हैं लेकिन शरणागत को निराश नहीं करते हैं. भगवान को जिसने भी […]

श्रीमद्भागवत कथा में छठे दिन बोले महाराज

कोलकाता : भगवान शरण में आनेवालों का कल्याण करते हैं, जो भी उनकी शरण में आ जाता है, उसका कल्याण होता है. शरण में आनेवालों के कल्याण के लिए भगवान अपने ऊपर कलंक तक ले लेते हैं लेकिन शरणागत को निराश नहीं करते हैं.

भगवान को जिसने भी स्वीकार किया, वह भगवान का हो गया. इसलिए कहा गया है कि हरि को भजे सो हरि का होई, भगवान शरणागत को स्वीकार करने के साथ-साथ समाज में उसके सम्मान की प्रतिष्ठा भी करते हैं. ये बातें परम पूज्य पंडित श्रीकांत शर्मा ने कही. उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की आठ पटरानियां और 16100 रानियां थीं. कर्मकांड के 16100 मंत्र उन्होंने भगवान के साथ भ्रमण करने की इच्छा की थी.

इसके बाद वे कन्याओं के रूप में धरती पर आये. इन 16100 कन्याओं को भौमासुर नामक एक असुर ने बंदी बना लिया था. भगवान ने इन असुर को मारकर इनका उद्धार किया. इसके बाद इन कन्याओं को उनके घर भेजने का प्रस्ताव दिया तब उन्होंने कहा कि वे असूर के जेल में रह चुकी है, समाज में उनके विवाह के लिए कौन स्वीकार करेगा और समाज में प्रतिष्ठा दिलाएगा, जिसको कोई स्वीकार नहीं करता है उसे भगवान स्वीकार कर लेते हैं. इन कन्याओं को समाज में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए भगवान श्री मर्यादा पुरषोत्तम जी ने इन्हें अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया.

परम पूज्य पंडित श्रीकांत शर्मा ने सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन उन्होंने कहा कि इस तरह से भगवान ने यह शिक्षा दी कि जो भी उनकी शरण में आएगा, उसका कल्याण होगा. भगवान का भजन करनेवाले की व्यवस्था खुद भगवान करेंगे. राम और कृष्ण दोनों ने ही नारियों के सम्मान की रक्षा की. उन्होंने कहा कि श्री राम जी ने सीता के उद्धार के लिए रावण और असुरों का वध किया, तो श्रीकृष्ण ने नारी सम्मान की रक्षा कर भौमासुर को असुरों का वध किया.

उन्हो‍ंने कहा भागवत कथा हमारी व्यथा को दूर करती है. हनुमान जी ने कथा के माध्यम से सिता, भरत, भीभीषण, बानरो के प्राण बचाये थे. स्वय: श्रीकृष्ण ने उद्धव से कहा था कि कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से मैं भक्तो को दर्शन दूंगा. इस अवसर पर धूमधाम से कृष्ण-रुक्मिणी विवाह सम्पन्न हुआ. कृष्ण-रुक्मिणी के रूप में संजय-संयुक्ता झाझड़िया ने अभिनय किया. विमला सराफ ने कृष्ण और रुक्मिणी का पूजन किया और डॉ जेके शाह ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया.

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