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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव : भाजपा ने रिकॉर्ड संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे

कोलकाता : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने किसी मुस्लिम को प्रत्याशी नहीं बनाया, लेकिन अपनी सियासी रणनीति में बदलाव का संकेत देते हुए पार्टी ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिमों को टिकट दिया हैं. भाजपा की नजर राज्य में सियासी रूप से अहम अल्पसंख्यक वोटरों पर है. […]

कोलकाता : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने किसी मुस्लिम को प्रत्याशी नहीं बनाया, लेकिन अपनी सियासी रणनीति में बदलाव का संकेत देते हुए पार्टी ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिमों को टिकट दिया हैं. भाजपा की नजर राज्य में सियासी रूप से अहम अल्पसंख्यक वोटरों पर है.
ग्रामीण क्षेत्रों में 14 मई को होने वाले चुनाव में इस बार भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदाय से 850 से अधिक लोगों को उम्मीदवार बनया हैं. इससे पहले साल 2013 में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले उम्मीदवारों की संख्या 100 से भी कम थी. हालांकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंच की भाजपा की कोशिश को खास महत्व नहीं दे रही.
तृणमूल का कहना है कि मुस्लिम समुदाय का ममता बनर्जी पर भरोसा बरकरार है. तृणमूल नेता पार्थ चटर्जी ने कहा : अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हम पर पूरा भरोसा है. भाजपा अल्पसंख्यकों का नामांकन कर रही है और राज्य में दंगों को हवा दे रही है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता प्रताप बनर्जी ने 2016 के विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया जब पार्टी की 294 उम्मीदवारों की सूची में महज छह उम्मीदवार ही मुस्लिम थे. उन्होंने कहा कि ‘पार्टी की सियासी रणनीति में यह एक बड़ा बदलाव है, अब वह अधिक संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को उतार रही है.’
भाजपा की राज्य इकाई के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अली हुसैन ने कहा : जाहिर तौर परपश्चिम बंगाल जैसे राज्य में हमें अल्पसंख्यक समुदाय तक संपर्क कायम करना होगा क्योंकि यहां लगभग 30 फीसदी आबादी मुस्लिम है. मुस्लिम समुदाय भी अब समझ चुका है कि भाजपा उनकी शत्रु नहीं है जैसा तृणमूल और अन्य दलों की ओर से बताया जाता है.
भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि नामांकन प्रक्रिया शांतिपूर्ण रहती तो भारतीय जनता पार्टी ग्रामीण क्षेत्र के चुनाव में 2,000 से अधिक संख्या में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को मैदान में उतारती. उन्होंने कहा : हमने टिकट धर्म या जाति के आधार पर नहीं बल्कि ‘जीतने की क्षमता’ के आधार पर दिया हैं.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पिछले वर्ष भाजपा का दामन थामने वाले तृणमूल के पूर्व नेता मुकुल राय ने उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, और यह भी सुनिश्चित किया है कि चुनाव में सर्वाधिक संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार भाजपा की ओर से ही उतारे जाएं.
इससे एक तरफ भाजपा के अल्पसंख्यक विरोधी होने का जो प्रचार विरोधी दल करते हैं वह तो भोथरा हो ही रहा है वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय में भाजपा की लोकप्रियता भी बढ़ रही है.

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