14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड : आदिवासी समस्याओं को विविध विधाओं से सामने लायें रचनाकार, सुरक्षित रखें मूल्य

‘आदिवासी भाषा-साहित्य का विकास’ विषयक सेमिनार, हरि राम मीणा ने कहा हर राज्य के आदिवासी अलग-अलग लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसमें आपसी तालमेल नहीं दिखता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय आदिवासी साहित्यिक मंच व रमणिका फाउंडेशन का आयोजन आदिवासी भाषाओं में रचे साहित्य का अनुवाद जरूरी रांची : राजस्थान के पूर्व डीआइजी व […]

‘आदिवासी भाषा-साहित्य का विकास’ विषयक सेमिनार, हरि राम मीणा ने कहा
हर राज्य के आदिवासी अलग-अलग लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसमें आपसी तालमेल नहीं दिखता
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय आदिवासी साहित्यिक मंच व रमणिका फाउंडेशन का आयोजन
आदिवासी भाषाओं में रचे साहित्य का अनुवाद जरूरी
रांची : राजस्थान के पूर्व डीआइजी व आदिवासी साहित्यकार हरि राम मीणा ने कहा कि ऑल इंडिया ट्राइबल लिट्रेरी फोरम का दायित्व है कि आदिवासी मुद्दों को विविध विधाओं के माध्यम से अभिव्यक्त करे़ आदिवासी भाषाओं में रचे मौखिक या लिखित साहित्य का अनुवाद भी जरूरी है़
इसे पहले हिंदी और फिर दूसरे देशों तक पहुंचना है़ आज की बाजारवादी दुनिया में आदिवासी नृत्य, नाटक, संगीत आदि पर असर हो रहा है, पर आदिवासी रचनाओं में सामूहिकता, वन्य प्राणियों व प्रकृति के साथ सहजीवन जैसे मूल्य सुरक्षित रखने होंगे़ वह रविवार को आदिवासी भाषा-साहित्य का विकास विषयक दो दिवसीय सेमिनार के समापन दिवस पर बोल रहे थे़
यह आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक, अखिल भारतीय आदिवासी साहित्यिक मंच व रमणिका फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से राजधानी के प्रेस क्लब में किया़ उन्होंने कहा कि संविधान ने यह प्रावधान किया है कि आदिवासी क्षेत्रों के गांव ही तय करेंगे कि उनका विकास कैसा हो़ वर्तमान समय आदिवासियों के लिए खतरनाक है़
उनके अस्तित्व पर संकट है़ हर राज्य के आदिवासी अलग-अलग लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसमें आपसी तालमेल नहीं दिखता.इस दौर में उनकी एकजुटता जरूरी है़ हमें उन आदिवासी जातियों के बारे में भी लिखना है, जो अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं हो पाये हैं. देश भर में ऐसी लगभग 1048 जनजातियां हैं. बोली-भाषाओं का दस्तावेजीकरण जरूरी है़ आदिवासी रचनाओं का एक संदर्भ ग्रंथ तैयार करने की भी जरूरत है़
आदिवासी रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित करेंगे
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो टीवी कट्टीमनी ने कहा कि हमारी शक्ति व हमारे संसाधन कम हैं. बहुत सारी आपसी लड़ाइयां हैं. उन विषयों पर सोचें, जिन पर साथ चल सकते हैं.
भविष्य में वही भाषा बचेगी, जिसकी लिपि देवनागरी होगी, पर सभी अपनी लिपि के बारे में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. उनका विश्वविद्यालय आदिवासी रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित करने के लिए तैयार है़ हिंदी का अंगरेजी और अंगरेजी का हिंदी में अनुवाद भी करेगा़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वितरण करने के लिए भी तैयार है़
कई साहित्यकारों के न दिखने पर उठे सवाल
डॉ हरि राम मीणा ने सम्मेलन में कई स्थानीय आदिवासी लेखकों, साहित्यकारों की गैर मौजूदगी पर सवाल उठाया़ उन्होंने कहा कि आदिवासियों में सामूहिकता होती है़ इस मंच में सामूहिकता बनी रहे़ जब सम्मेलन करते हैं तो यह अपेक्षा होती है कि सभी साहित्यकारों से एक जगह मुलाकात होगी़ शिशिर टुडू, वाल्टर भेंगरा और जोसफ भेंगरा जैसे लोग नहीं दिख रहे हैं.
इस पर वासवी किड़ो ने कहा कि आयोजन स्थल में 80 लोगों की ही व्यवस्था संभव थी़ कार्यक्रम में पद्मश्री मुकुंद नायक, निशिता खलखो, डाॅ शांति खलखो, डॉ अनुज लुगुन, महादेव टोप्पो, श्री प्रकाश, दयामनी बरला, शरण उरांव समेत कई लोग मौजूद थे़
आदिवासियों को क्यों कहना पड़ रहा कि हमारे गांवों में न आयें : रमणिका गुप्ता
रमणिका फाउंडेशन की अध्यक्ष रमणिका गुप्ता ने कहा कि यह दुखद है कि आदिवासी नेता हिंदुत्ववादियों की गोद में बैठ रहे हैं. पत्थलगड़ी को राष्ट्रदोही घोषित कर रहे हैं. इस पर सोचने की जरूरत है कि आदिवासियों को यह क्यों कहना पड़ रहा है कि हमारे गांवों में न आयें!
वर्तमान में तार्किक सोच को कुएं में ढकेलने का प्रयास चल रहा है़ इसका मुकाबला करना होगा़ हमें एकसाथ इन सारी चीजों से जूझना भी है. साहित्य में ताकत होती है़, यह हम सभी जानते ही हैं.
फोरम का उद्देश्य संघर्ष को प्रेरणा देना है़ आदिवासी घर में पैदा होकर हनुमान चालीसा लिखना आदिवासी साहित्य नहीं है़ आदिवासी अपनी भाषा में पढ़ें और अपनी भाषा में लिखें. ऑल इंडिया ट्राइबल लिट्रेरी फोरम को दिकुओं से बचा कर रखे़ं

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें