रांची : सिल्ली और गोमिया उपचुनाव को लेकर विपक्षी दलों ने अपना पत्ता खोल दिया है़ निकाय चुनाव में मात खाये विपक्षी दलों ने इस बार कोई रिस्क नहीं लिया है. सिल्ली व गोमिया झामुमो की सीटिंग सीट है़ विपक्षी फोल्डर में झामुमो ने दावा ठोका और विपक्ष के सहयोगी दलों से समर्थन मांगा़ बिना किचकिच विपक्ष झामुमो के साथ आ गया़ झाविमो के बाबूलाल मरांडी भी भविष्य की राजनीतिक दशा-दिशा को देखते हुए झटपट फैसला लिया़ कांग्रेस ने भी दिल्ली को तरीके से समझाया और हरी झंडी मिल गयी़
दूसरी तरफ, राजद और वामदलों का इन दोनों सीटों पर विशेष जनाधार नहीं है़ ऐसे में इनका समर्थन स्वाभाविक था़ सिल्ली और गोमिया के रास्ते विपक्षी एकता तो बन गयी है़,अब आगे लिटमस टेस्ट होना है़ उधर, एनडीए गठबंधन में बात नहीं बन पायी है़ ऐसे में गोमिया सीट पर भाजपा-आजसू में दोस्ताना संघर्ष तय है़ उपचुनाव में भाजपा और आजसू का गठबंधन दरका है़
दोनों ही सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे महत्वपूर्ण होंगे़ भावी राजनीति का संदेश देंगे़ विपक्षी एकता की एकजुटता ने रंग दिखाया, तो बात आगे बढ़ेगी़ विपक्ष ने चुनावी गणित में उलट फेर कर लिया, तो गठबंधन रास्ते पर होगा़ अगर बात नहीं बनी, तो भाजपा चार्ज होगी़ निकाय चुनाव से उत्साहित भाजपा विपक्ष पर हावी होगी.
राहुल-हेमंत की मुलाकात में तय फॉर्मूले भी कसौटी पर
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और झामुमो नेता हेमंत सोरेन की दिल्ली में मुलाकात हुई थी़ इस मुलाकात में कांग्रेस ने राज्यसभा सीट झामुमो से मांगी थी़ वहीं विधानसभा चुनाव के लिए हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने की बात हुई थी़
झामुमो और कांग्रेस के बीच गठबंधन का खाका तैयार हुआ था़ इसमें दूसरे दलों को भी शामिल करने की बात कही गयी थी़ दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद यह पहला उपचुनाव है़ इस उपचुनाव में कांग्रेस और झामुमो के बीच तय फॉर्मूले का भविष्य भी कसौटी पर होगा़