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कार्यालय है नहीं, पर इसके रखरखाव व फर्नीचर के लिए भेज दिये गये एक लाख रुपये

अररिया : ग्रामवासियों को सस्ता व सुलभ न्याय देने के लिए स्थापित ग्राम कचहरी लगातार अपना महत्व खोता जा रहा है. छोटी-मोटी बात को लेकर गांववासियों के बीच हर दिन होने वाले लड़ाई-झगड़े का शांतिपूर्ण हल तलाशने और जटिल व खर्चीले न्यायिक प्रक्रिया से उन्हें निजात दिलाने के लिए बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के […]

अररिया : ग्रामवासियों को सस्ता व सुलभ न्याय देने के लिए स्थापित ग्राम कचहरी लगातार अपना महत्व खोता जा रहा है. छोटी-मोटी बात को लेकर गांववासियों के बीच हर दिन होने वाले लड़ाई-झगड़े का शांतिपूर्ण हल तलाशने और जटिल व खर्चीले न्यायिक प्रक्रिया से उन्हें निजात दिलाने के लिए बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के तहत ग्राम कचहरियों की स्थापना की गयी थी. वर्तमान में ग्राम कचहरी अपने इस उद्देश्य से पूरी तरह भटक चुका है.
सरपंच व पंच को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं
सरकारी तौर पर सरपंच को 2500, उपसरपंच को 1200 व पंच को 500 रुपये प्रति माह मानदेय भुगतान की व्यवस्था है. ग्राम कचहरी के संचालन के कार्यालय व्यय के रूप में ग्राम कचहरी को प्रति वर्ष 4000 हजार रुपये देने का प्रावधान है. साथ ही वित्तीय वर्ष 2016-17 में पंचम वित्त राज्य आयोग की अनुशंसा पर ग्राम कचहरी को कार्यालय व फर्नीचर मद में एक लाख रुपये का भुगतान ग्राम कचहरियों को किया गया. जिला पंचायती राज विभाग से मिली जानकारी मुताबिक पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर जिले के सभी ग्राम कचहरियों को एक लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है. इसमें 50 हजार रुपये प्रखंड कार्यालय के माध्यम से तो शेष राशि जिला पंचायती राज कार्यालय के माध्यम से ग्राम कचहरियों को आरटीजीएस के माध्यम से भेजी गयी. सभी ग्राम कचहरियों को इसकी उपयोगिता प्रमाणपत्र जिला पंचायत राज कार्यालय में जमा कराने का आदेश भी विभागीय कार्यालय से जारी कर दिया गया है.
मिलने वाली सुविधाओं का हाल बेहाल
सरपंच व पंच को मिलने वाले मानदेय का भुगतान बीते आठ माह से लंबित है. मानदेय भुगतान के लिए वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्राप्त आवंटन के आधार पर 30 सितंबर 2017 तक के मानदेय का भुगतान किया जा चुका है. सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार ने बताया कि कार्यालय व्यय के रूप में चार हजार रुपये का भुगतान लंबे समय से बाधित है. इसके लिए पूर्व में जिला पंचायती राज पदाधिकारी व बीडीओ अररिया को लिखित आवेदन दिया गया है. इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है. कार्यालय व्यय के रूप में मिलने वाली राशि को अपर्याप्त बताते हुए उन्होंने कहा कि इतने कम रुपये में कार्यालय का किराया व रख-रखाव का भुगतान संभव नहीं है.
ग्राम कचहरी को नहीं है अपना कार्यालय
जिले के किसी ग्राम कचहरी का अपना कार्यालय नहीं है. ग्राम कचहरी की अधिकांश बैठक सरपंच के दरवाजे ही बुलायी जाती है. पंचायत भवन व खुले मैदान में भी कचहरी की बैठक का आयोजन होता है. सवाल उठता है कि जब ग्राम कचहरी को अपना भवन है ही नहीं तो वर्ष 2016-17 में कार्यालय फर्नीचर मद में ग्राम कचहरियों को एक लाख रुपये की राशि कैसे भेज दी गयी. बिना भवन के कार्यालय व फर्नीचर मद में इस राशि की उपयोगिता व्यर्थ नजर आता है. ग्राम कचहरी के सफल संचालन व ग्रामीणों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए दिसंबर 2007 में निर्धारित मानदेय पर न्याय मित्र व कचहरी सचिव का नियोजन राज्य सरकार द्वारा किया गया. बीते तीन साल से इनके मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है. कचहरी सचिव संघ के प्रखंड अध्यक्ष संतोष कुमार ने कहा कि कचहरी के अलावा उनसे अन्य सरकारी कार्य लिये जा रहे हैं. लेकिन निर्धारित मानदेय के भुगतान के प्रति उदासीन सरकारी रवैया के कारण उनका मनोबल प्रभावित हो रहा है.
ग्राम कचहरी से मिल सकता है सस्ता व सुलभ न्याय
लोक अभियोजक के मुताबिक न्यायालय में लंबित विवादों का एक बड़ा हिस्सा पारिवारिक विवाद, जमीन व संपत्ति विवाद से जुड़ा है. स्थानीय थाना अगर ऐसे मामलों को सुनवाई के लिए ग्राम कचहरी को सौंप दे तो कोई शक नहीं कि सस्ता व सुलभ न्याय पाने का रास्ता लोगों के लिए बेहद आसान हो जायेगा.

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