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पाकिस्तान की गीदड़ भभकी, भारत और विश्व बैंक के सामने उठायेगा सिंधु जल संधि मामला

इस्लामाबाद : सिंधु जल संधि का तथाकथित तौर पर उल्लंघन करने के मामले को लेकर पाकिस्तान ने भारत को एक बार फिर गीदड़ भभकी दी है. वहां के शीर्ष नागरिक – सैन्य नेतृत्व ने अधिकारियों को सिंधु जल संधि के कथित उल्लंघन के मामले को भारत और विश्वबैंक के समक्ष जोरदार तरीके से उठाने के […]

इस्लामाबाद : सिंधु जल संधि का तथाकथित तौर पर उल्लंघन करने के मामले को लेकर पाकिस्तान ने भारत को एक बार फिर गीदड़ भभकी दी है. वहां के शीर्ष नागरिक – सैन्य नेतृत्व ने अधिकारियों को सिंधु जल संधि के कथित उल्लंघन के मामले को भारत और विश्वबैंक के समक्ष जोरदार तरीके से उठाने के निर्देश दिये हैं.

इसे भी पढ़ें : सिंधु जल समझौता : भारत के रुख से घबराया पाक, विश्व बैंक से जतायी आपत्ति

विश्वबैंक इस समझौते की गारंटर है. इस मुद्दे पर विश्वबैंक ने भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले साल सितंबर में वॉशिंगटन में बैठक आयोजित की गयी थी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने बुधवार को प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की 21 वीं बैठक की अध्यक्षता की.

आधिकारिक बयान के मुताबिक, योजना आयोग के डिप्टी चेयरमैन ने 24 अप्रैल, 2018 को साझा हित परिषद द्वारा अनुमोदित जल नीति के साथ जल चार्टर के बारे में जानकारी दी. इस पर प्रधानमंत्री और चार प्रांतों के मुख्यमंत्री ने हस्ताक्षर किये हैं. समिति का मानना है कि यह बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है. पाकिस्तान इस समय पानी के संकट की चिंता का सामना कर रहा है. यदि इस नीति का उचित तरह से क्रियान्वयन किया गया, तो यह जल संकट को रोकने में काफी मददगार साबित होगी.

सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत, पूर्वी नदियों (सतलज, व्यास और रावी) का पानी भारत को आवंटित किया गया है. इसी तरह पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया है. इसमें गैर-उपभोग वाले कुछ इस्तेमाल शामिल नहीं है. पाकिस्तान जम्मू- कश्मीर स्थित दो जल-विद्युत परियोजनाओं के डिजाइन को लेकर चिंता जताते हुए 2016 में विश्वबैंक के पास पहुंचा था. उसने विश्व बैंक से उसकी चिंताओं पर गौर करने के लिए मध्यस्थता अदालत स्थापित करने की मांग की थी.

बयान के मुताबिक, एनएससी ने जल संसाधन विभाग को भारत द्वारा सिंधु जल संधि के उल्लंघन का मामला विश्वबैंक के समक्ष जोरदार तरीके से उठाने के निर्देश दिये हैं. समिति ने हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूदा स्थिति की भी समीक्षा की और पाकिस्तान के राष्ट्रीय हित की सुरक्षा के लिए एक मजबूत सुरक्षा स्थिति बनाये रखने का निर्देश दिया है. बैठक में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के लिए प्रस्ताव प्रशासनिक सुधार पैकेज की भी समीक्षा की गयी.

हालांकि, आधिकारिक तौर पर इन सुधारों के बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया गया है. विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सुधारों में गिलगित-बाल्टिस्तान को और बेहतर तरीके से पाकिस्तान के साथ एकीकृत करने पर जोर दिया गया है. यही वह इलाका है, जहां से अरबों डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना होकर गुजरेगी.

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