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टीएमबीयू में डेढ़ साल से बंद है डी-लिट का रजिस्ट्रेशन
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विवि में डी-लिट की उपाधि से शोध छात्र वंचित हो रहे हैं. पिछले डेढ़ साल से डी-लिट के लिए विवि में रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. पूर्व के डी-लिट नियम में बदलाव करने का नया प्रस्तावित रेगुलेशन फाइल में बंद है. शोध छात्र डी-लिट के लिए विवि का चक्कर लगा रहे […]
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विवि में डी-लिट की उपाधि से शोध छात्र वंचित हो रहे हैं. पिछले डेढ़ साल से डी-लिट के लिए विवि में रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. पूर्व के डी-लिट नियम में बदलाव करने का नया प्रस्तावित रेगुलेशन फाइल में बंद है. शोध छात्र डी-लिट के लिए विवि का चक्कर लगा रहे हैं. विवि के अधिकारी डी-लिट के रजिस्ट्रेशन को लेकर कुछ भी बोलने काे तैयार नहीं है. विवि के 34 पीजी विभागों के विभिन्न विषयों के लिए दर्जनों शोध किये छात्र-छात्राएं डी-लिट के लिए विवि में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पा रहे हैं.
डी-लिट को लेकर कहां फंसा है मामला : विवि सूत्रों के अनुसार पीएचडी व डी-लिट के लिए पूर्व में अलग प्रावधान नहीं था. ऐसे में पूर्व में विभागाध्यक्षों ने रेवड़ी की तरह डी-लिट की उपाधि बांटना शुरू कर दिया. विवि के कई ऐसे मामले सामने आये. जिस टॉपिक पर पीएचडी की, उसी पर डी-लिट भी करवा दी गयी. ऐसे में उन्हीं तथ्यों के आधार पर डी-लिट की उपाधि दे दी गयी. ऐसे मामले सामने आने पर विवि ने डी-लिट के लिए नया रेगुलेशन प्रस्ताव तैयार किया है.
दूसरे राज्य के शोघ छात्र भी टीएमबीयू से करते हैं डी-लिट : विवि सूत्रों के अनुसार दूसरे राज्यों के भी पीएचडी किये छात्र टीएमबीयू से डी-लिट करना चाहते हैं. रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण उन छात्रों की दिक्कत बढ़ा दी है. विवि के एक शिक्षक ने बताया कि महाराष्ट्र, गुजरात, बंगाल, यूपी आदि राज्यों के अलावा नेपाल के छात्र भी विवि से डी-लिट के लिए रजिस्ट्रेशन कराते हैं, लेकिन डी-लिट का रजिस्ट्रेशन विवि में बंद है. ऐसे में उन छात्रों का दाखिला विवि में नहीं हो रहा है.
डी-लिट के लिए विवि नया रेगुलेशन शीघ्र जारी करे
शोध छात्र दिनेश मिश्रा ने बताया कि विवि पीएचडी का नया रेगुलेशन तैयार किया है. डी-लिट के लिए भी नया रेगुलेशन जारी करे. पिछले डेढ़ साल से डी-लिट के लिए विवि में रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है, जबकि रिसर्च काउंसिल की तीन बार बैठक हो चुकी है, लेकिन डी-लिट को लेकर विवि के अधिकारी स्पष्ट नहीं कर रहे हैं.
रजिस्ट्रेशन होगा, या नहीं. शोध विभाग से छात्र पूछने जाते हैं, तो कोई जबाव नहीं मिलता है. कुलपति ने पूर्व में शोध को लेकर गंभीरता दिखायी थी. फिर डी-लिट को लेकर कुलपति नीति स्पष्ट क्यों नहीं कर रहे हैं.
डी-लिट छात्रों को नौकरी में मिलती है प्राथमिकता
शोघ छात्रों ने बताया कि डी-लिट करनेवाले छात्रों को शिक्षक बनने में प्राथमिकता दी जाती है. मेधा सूची में पीएचडी व डी-लिट उपाधि के अंक जोड़े जाते हैं. ऐसे में नौकरी मिलने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.
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