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झारखंड : सीबीआइ ने मुझे फंसाया, समय आने पर साजिशकर्ता का होगा खुलासा : शिबू सोरेन
वकील संजीव कुमार ने कहा, शशिनाथ झा की बॉडी कहां है, सीबीआइ पर दूसरे की बॉडी लाने के मामले में कार्रवाई होनी चाहिए, सीबीआइ ने कोर्ट के साथ शशिनाथ के परिजनों को गुमराह किया रांची : झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन ने शशिनाथ झा हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट से बरी होने के बाद कहा कि […]
वकील संजीव कुमार ने कहा, शशिनाथ झा की बॉडी कहां है, सीबीआइ पर दूसरे की बॉडी लाने के मामले में कार्रवाई होनी चाहिए, सीबीआइ ने कोर्ट के साथ शशिनाथ के परिजनों को गुमराह किया
रांची : झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन ने शशिनाथ झा हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट से बरी होने के बाद कहा कि सीबीआइ ने उन पर झूठा आरोप लगाया था. उन्होंने तो शशिनाथ का पालन-पोषण किया था. फिर भला वे उसकी हत्या कैसे कर सकते थे. श्री सोरेन अपने वकील व राज्यसभा सांसद संजीव कुमार के साथ मोरहाबादी स्थित अपने आवास में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
श्री सोरेन ने कहा कि उनके खिलाफ एक गहरी साजिश की गयी थी, जिसके तहत उन्हें इस हत्याकांड में फंसाया गया था. यह पूछे जाने पर कि साजिश किसने की थी. कहा कि समय अाने पर साजिशकर्ता का खुलासा किया जायेगा. श्री सोरेन ने कहा कि उन्हें फंसाया गया था, यह तो कोर्ट से भी साबित हो गया है.
लेकिन जिन लोगों ने फंसाया उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. इसके पूर्व वकील संजीव कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से बड़ा फैसला आया है. शशिनाथ हत्याकांड में शिबू सोरेन को बरी कर दिया गया है. पूर्व में निचली अदालत ने बरी कर दिया था.
पर सीबीअाइ ने इसे हाइकोर्ट में चुनौती दी. हाइकोर्ट ने आरंभ में दोषी करार दिया था फिर चुनौती दिये जाने के बाद बरी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने बरी किये जाने के हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. उन्होंने बताया कि 2010 में सुप्रीम कोर्ट में यह केस एडमिट किया गया था. अब इस पर फैसला आया है.
जो बदनामी हुई है, उसकी कैसे होगी भरपाई
श्री कुमार ने सीबीआइ पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिस्का नगरी से जिस कंकाल को लाकर कोर्ट के सामने पेश किया गया था, दरअसल वह शशिनाथ का था ही नहीं. उनके परिवालों ने भी कहा था कि यह कंकाल उनका नहीं है.
बाद में पिस्का नगरी के ही एक मुस्लिम परिवार ने कहा कि यह लाश अलीम नाम के एक व्यक्ति की है. पर सीबीआइ जबरन इसे शशिनाथ का साबित करने पर तुली हुई थी. इससे ऐसा लगता है कि सीबीआइ किसी खास मकसद से शिबू सोरेन को दोषी साबित करना चाहती थी.
क्योंकि कड़े और बेल्ट को लेकर शशिनाथ झा की बॉडी की बात कही जा रही थी, जबकि वे कड़ा और बेल्ट पहनते ही नहीं थे. इसके बाद शशिनाथ के परिजनों के कहने पर ही हाइकोर्ट ने श्री सोरेन को बरी कर दिया था. अब सवाल ये उठता है कि इस मामले में शिबू सोरेन को सालों तक जेल में रहना पड़ा. परिवार को परेशानी हुई. बदनामी हुई. श्री सोरेन के इमेज को धक्का लगा. इसकी भरपाई कौन करेगा.
कोर्ट में मामला चलेगा
श्री कुमार ने कहा कि शिबू सोरेन बरी हो गये हैं, पर अभी तक शशिनाथ झा के परिजनों को न्याय नहीं मिला है. अलीम के परिजनों को भी न्याय नहीं मिला है. इनको न्याय दिलाने के लिए कोर्ट में मामला चलेगा. यदि लाश अलीम की है तो इस मामले में सीबीआइ दोषी है और उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. परिजनों को सीबीआइ ने गुमराह किया.
श्री कुमार ने कहा कि 22 साल से वह इस केस को लड़ रहे हैं अब अलीम और शशिनाथ झा के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए लड़ेंगे. इस पूरे मामले से यह स्पष्ट है कि सीबीआइ द्वारा ईमानदारी से जांच नहीं की गयी.
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