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ग्रहों की दशा दिखाती है कैरियर की सही राह

डॉएनके बेरा, ज्योतिषविद् बच्चों की परीक्षाएं समाप्त हो चुकी हैं और अब समय है सही विषय के चयन का, जिसमें छात्र को अपना भविष्य निर्माण करना है. इसे लेकर अभिभावक भी चिंतित रहते हैं. विषय चयन में जहां छात्र की योग्यता, क्षमता और रुचि का ध्यान रखना जरूरी होता है, वहीं निर्णय लेने में ज्योतिषशास्त्र […]

डॉएनके बेरा, ज्योतिषविद्
बच्चों की परीक्षाएं समाप्त हो चुकी हैं और अब समय है सही विषय के चयन का, जिसमें छात्र को अपना भविष्य निर्माण करना है. इसे लेकर अभिभावक भी चिंतित रहते हैं.
विषय चयन में जहां छात्र की योग्यता, क्षमता और रुचि का ध्यान रखना जरूरी होता है, वहीं निर्णय लेने में ज्योतिषशास्त्र भी आपका मार्गदर्शन कर सकता है. किसी भी विद्यार्थी के लिए कोई विषय उपर्युक्त है या नहीं, इसका निर्धारण उसके जन्मकालीन ग्रहों की स्थिति को देखकर किया जा सकता है. यह जाना जा सकता है कि जातक को मेडिकल, इंजीनियरिंग, वकालत या अन्य किस क्षेत्र में जाना चाहिए. अतएव विषय चयन करने से पूर्व अपनी ग्रह स्थिति या हस्तरेखा का विचार करना चाहिए.
जन्मकुंडली में द्वितीय भाव वाणी एवं ज्ञानोपयोग का, तृतीय भाव रुचि एवं पराक्रम का, चतुर्थ एवं नवम भाव शिक्षा का और पंचम भाव उच्च शिक्षा और बुद्धि का कारक होता है. बृहस्पति विद्या का, बुध बुद्धि का एवं मंगल तर्क क्षमता का परिचायक होता है.
उत्तम विद्या प्राप्ति के लिए इन सभी ग्रहों का शुभ एवं बली होना आवश्यक है. जातक के लिए उपर्युक्त विषय का चयन करने से पूर्व दशम भाव और दशमेश की स्थिति पर भी ठीक प्रकार से विचार कर लेना आवश्यक है. चूंकि शिक्षा का अंतिम लक्ष्य उत्तम कैरियर निर्माण ही है, अतः चतुर्थ एवं पंचम भाव विद्या का, दशम भाव आजीविका से किस तरह संबंध है, इसका विचार करना चाहिए.
कुंडली में महादशा-अंतर्दशा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. कुंडली में अच्छी शिक्षा के योग विद्यमान हों, किंतु दशा-अंतर्दशा प्रतिकूल चल रही हो, तो चयनित विषय में अपेक्षित सफलता मिलने में कठिनाई होती है. लेकिन जैसे ही दशा-अंतर्दशा अनुकूल होती है, वैसे ही जातक को अपेक्षित सफलता मिलने लगती है.
नवग्रहों में सूर्य को राजा कहा जाता है. सूर्य यदि किसी जातक के शुभ स्थिति में हो, षड्बल में बली हो और पंचम भाव को प्रभावित कर रहा हो, तो ऐसे जातक में अच्छा चिकित्सक बनने के गुण होते हैं. ऐसे में विज्ञान का चयन करना शुभ है.
सूर्य, मंगल एवं बुध की स्थिति शुभ हो तो इंजीनियरिंग में जाना लाभदायक होता है. सूर्य-गुरु के संबंध से अंतरिक्ष विज्ञान, वेदांत दर्शन एवं सूर्य-शनि या मंगल-शनि के संबंध से इंजीनियरिंग के विषय का अध्ययन लाभकारी है. चंद्रमा को मन का कारक माना गया है.
व्यक्ति की कल्पनाशक्ति एवं मानसिक दृढ़ता चंद्रमा से मिलता है. चंद्रमा बली होकर चतुर्थेश या पंचमेश से संबंध बनाये तो मनोविज्ञान, न्यूरोलॉजी, गायनोकॉलोजी, कार्डियोलॉजी, वनस्पति शास्त्र आदि विषयों में सफलता मिलती है.
मंगल से प्रभावित जातक तुरंत निर्णय लेनेवाले होते हैं. इनके लिए इतिहास, कानून, इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग, शल्य चिकित्सा, सिविल इंजीनियरिंग विषयों का चयन करना शुभ है. वहीं बुध पंचमेश होकर बली हो, तो गणित, मूर्तिकला एवं मार्केटिंग, एमबीए करना शुभ होता है.
गुरु का संबंध शिक्षा से होता है. गुरु के बली होने एवं दशम भाव से भी संबंधित होने पर शिक्षण, परामर्श आदि क्षेत्र में जाने का योग बनता है. बीएड, न्याय शास्त्र, बीज गणित, दर्शन, कानून, अर्थशास्त्र आदि विषयों का अध्ययन करना लाभदायक है.
शुक्र बली होने पर कला, समाजशास्त्र, मैनेजमेंट, नृत्य, संगीत, अभिनय, टूरिजम, इंटीरियर डेकोरेशन, फैशन डिजाइनिंग आदि विषयों का चयन करना शुभ होता है.

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