इस साल की सफल फिल्म ‘पद्मावत’ का अहम हिस्सा रहीं अदिति राव हैदरी आज रिलीज हुई फिल्म ‘दासदेव’ में नजर आ रही हैं. अदिति राव इसे ही सफलता करार देती हैं. वह कहती हैं कि जिन निर्देशकों के काम को वह समादर करती हैं उनके वीजन वाली कहानियों का हिस्सा बनने से ज्यादा खुशी और क्या हो सकती हैं. ‘दासदेव’ में रिचा चड्ढा, राहुल भट्ट और सौरभ शुक्ला मुख्य भूमिका में है. अदिति राव हैदरी से हमारी संवाददाता उर्मिला कोरी की खास बातचीत…
‘दासदेव’ की चांदनी अदिति से कितना मेल खाती है ?
दासदेव की चांदनी मुझसे बिल्कुल अलग है. मैंने इस तरह का किरदार कभी नहीं किया था. चांदनी का किरदार जब मुझे ऑफर हुआ तो मैं उसी के बारे में सोच रही थी. मैं मेथड एक्ट्रेस नहीं हूं इसलिए प्रैक्टिस नहीं करती हूं. हां सोचती जरुर रहती हूं कौन होगी क्या होगी. मैं जैसे ही सेट पर गयी मैंने सुधीर सर को कहा कि मुझे पता नहीं कि ये किरदार कैसे करना है. उनका जवाब था कि मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.
‘दासदेव’ को बने 2 साल हो गए हैं, क्या आपको लगता है कि इससे फिल्म प्रभावित होगी ?
हां इन सब से फिल्में प्रभावित होती हैं. दो साल पहले ये फिल्म बनी है लेकिन इस फिल्म की खासियत सुधीर सर हैं. सुधीर सर ने बहुत अच्छी फिल्म बनायी है. वह कर्मशियल प्लेटफॉर्म वाली फिल्में नहीं बनाते है. उनकी कहानियां टाइमलेस होती है. कभी किसी दौर में भी उन्हें देखा जा सकता है. आप हजारों ख्वाहिशें ऐसी, इस रात की सुबह नहीं और चमेली जैसी फिल्में कभी भी देख सकते हैं.
क्या आपने शरतचंद्र की देवदास पढी है ?
मुझे पता है कि ये बहुत गलत है लेकिन मैंने कभी हिंदी या बांग्ला में कोई नॉवेल नहीं पढा है. मैं पढ़ना चाहती हूं लेकिन हकीकत ये भी है कि इसमें बहुत टाइम लग जाएगा. मैं हिंदी बोल सकती हूं लेकिन लिखने और पढ़ने में थोड़ा समय लगता है.
इस फिल्म में राजनीति एक अहम किरदार की तरह है आपकी राजनीति में कितनी रुचि है ?
किसी भी जिम्मेदार नागरिक की तरह मुझे भी पॉलिटिक्स के बारे में जानकारी हैं लेकिन मैं उससे जुड़ नहीं सकती हूं क्योंकि मुझे लगता है कि हर कोई नेकनीयत और अच्छे काम करने के लिए ही राजनीति से जुड़ता है लेकिन फिर वो उलट पलट हो जाता है . दासदेव में भी ये बात दिखायी है. राजनीति में पावरप्ले ही सबकुछ करप्ट कर देता है.
कोई मुद्दा जो आपके दिल के बहुत करीब है ?
लड़कियों की सेफ्टी, आजकल सभी लोग इस बारे में बात कर रहे हैं इसलिए मैं नहीं बोल रही हूं बल्कि यह मुद्दा वाकई मेरे दिल के बहुत करीब है. दूसरा शिक्षा, धर्म, गाय सब पर बात हो रही है लेकिन शिक्षा पर नहीं. डिंफेंस का प्राइवेटजाइजेशन हो रहा तो एजुकेशन का क्यों नहीं. शिक्षा का मतलब अपना नाम लिखने और पढ़ना नहीं मेरा मतलब पूरी शिक्षा से है. हमारे देश में बहुत कुछ अच्छा है. हमारा हेडीक्राफ्ट, मसाले और दूसरी चीजें बहुत खास है लेकिन जब तक विदेश वाले नहीं बोलेंगे कि हल्दी अच्छी है तब तक हम हल्दी के महत्व को नहीं समझते हैं. ये गलत है. हमें खुद अपने पर गर्व होना चाहिए. हमें लीडर की जरुरत है फॉलोअर की नहीं.
आप सिंगर भी हैं ?
सिंगिंग मुझे मेरी मां से मिला है. वह बहुत अच्छा गाती हैं. यही वजह है कि मैं भी गा लेती हूं. मेरी मां अच्छी डांसर भी रही हैं. उन्हें भरतनाट्यम और ओडिसी दोनों ही डांस फार्म आते थे. मैं बचपन से ही डांस का प्रशिक्षण ले रही हूं. अक्सर लोग कहते हैं कि मैंने सिंगिंग में भी क्यों नहीं खुद को प्रशिक्षित किया. मेरा मानना है कि कोई भी आर्ट फॉर्म एक तपस्या की तरह होता है. आपको उसमे पूरी तरह से रचना बसना है. वैसे अच्छी बात ये है कि प्रशिक्षित न होने के बावजूद मुझे जब भी मौका मिलता है. मैं गाना गाने से नहीं चूकती है. मैंने रहमान सर के साथ गाना गाया है वो भी लाइव में. मैंने पिछली साल मणिरत्नम सर की फिल्म में एक गाना गाया था. उस गाने को नेशनल एवार्ड मिला .मैं एक्ट्रेस हूं गा सकती हूं इसलिए मेरी आवाज का इस्तेमाल हो. मुझे यह बात पसंद नहीं है. मेरी आवाज गाने की जरुरत हो तो ही उसका इस्तेमाल हो तो बहुत अच्छा रहेगा.
आपकी आनेवाली फिल्में कौन सी हैं?
सुधीर सर की अगली फिल्म कर रही हूं. जो लवस्टोरी की होगी. दो तमिल फिल्म एक तेलुगू फिल्म है. हमारी जो देश है. मैं इंडियन फिल्म इंडस्ट्री हूं. अगर मुझे दूसरे भाषाओं से अच्छे डायेक्टर मैं उस मोके को खोना नहीं चाहती हूं. हमारे देश की विविधता उसकी खासियत हैं. मैं भी फिल्मों के जरिए उस विविधता को जीना चाहती हूं.