बोकारो : झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन (जेएसबीसीएल) व उत्पाद विभाग की कागजी खानापूर्ति में हो रही देरी के कारण लगभग एक माह से सरकारी शराब दुकानों पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. बोकारो ही नहीं पूरे राज्य की सरकारी शराब दुकानों में लगभग एक माह से बीयर की आपूर्ति बंद हो गयी थी. दुकानों में काम करने वाले मैन पावर एजेंसी के कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिल रहा था. दुकानों का किराया और बिजली बिल का भुगतान भी बकाया था.
बीयर की सप्लाई पर रोक लगने से सरकार को लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हुआ. इसके बाद जेएसबीसीएल और उत्पाद विभाग के अधिकारियों की नींद खुली. उत्पाद विभाग व जेएसबीसीएल ने अब सभी कागजी खानापूर्ति पूरी कर मैन पावर एजेंसी और शराब सप्लाई करने
वाली कंपनी को बकाया राशि का भुगतान कर दिया है. इसके बाद गुरुवार से बोकारो जिला की सभी 45 सरकारी शराब दुकानों में बीयर की आपूर्ति शुरू हो गयी.
दो माह के बकाया वेतन का होगा भुगतान : बोकारो जिला की 45 शराब दुकानों में मैन पावर एजेंसी फ्रंटलाइन के लगभग दो सौ कर्मचारी कार्यरत हैं. इनका वेतन जनवरी माह से बकाया है. जेएसबीसीएल द्वारा एजेंसी को बकाया भुगतान करने के बाद कर्मचारियों के लंबित वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. दो-चार दिनों में जनवरी और फरवरी का वेतन का भुगतान सेल्समैन व कर्मचारियों को एक साथ किया जायेगा.
बकाया किराया व बिजली बिल के भुगतान में जुटी एजेंसी : जिले में कार्यरत 45 सरकारी शराब दुकान की बिजली बिल और मकान का किराया का भुगतान भी जनवरी माह से नहीं हुआ है. मैन पावर एजेंसी को ही दुकान का किराया व बिजली बिल भुगतान करने की जिम्मेवारी सरकार द्वारा सौंपी गयी है. इस मद में भी जेएसबीसीएल ने बकाया राशि का भुगतान कर दिया है़ बकाया का भुगतान होने के बाद मैन पावर एजेंसी दुकान मालिक को कुछ दिनों मे बिजली बिल और दुकान के किराया का भुगतान करने की प्रक्रिया में जुट गयी है.
कंपनियों ने सरकार को उधार में दी शराब
अगस्त 2017 से पूरे राज्य में सरकार अपने निजी उपक्रम झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन के माध्यम से शराब का खुदरा व्यवसाय कर रही है. जेएसबीसीएल ने पूरे राज्य में सरकारी शराब दुकान चलाने का ठेका मैन पावर एजेंसी फ्रंट लाइन व शोमुख को दिया है. बोकारो जिले के सभी सरकारी खुदरा शराब दुकान फ्रंट लाइन एजेंसी के सेल्समैन व कर्मचारियों के द्वारा संचालित किया जा रहा है. अगस्त 2017 से पूर्व राज्य में खुदरा शराब व्यवसाय सिंडिकेट के हाथों में था. जिस समय शराब सिंडिकेट के व्यवसायी खुदरा शराब दुकान संचालित करते थे. उस समय शराब कंपनियों को एडवांस में राशि का भुगतान कर शराब व बीयर का स्टॉक किया जाता था. अगस्त 2017 के बाद जब सरकार ने स्वयं खुदरा शराब व्यवसाय करने का निर्णय लिया तो शराब कंपनियों से सरकार उधारी में करोड़ों का शराब व बीयर लेने लगी. सरकार शराब व बीयर बेचने के बाद कंपनी को उधारी राशि का भुगतान करती है. विगत जनवरी माह से उत्पाद विभाग व जेएसबीसीएल की कागजी खानापूर्ति में विभिन्न कारणों से विलंब हो रहा था. इस कारण शराब कंपनी, मैन पावर एजेंसी, दुकान का किराया व बिजली बिल के एवज में करोड़ों की राशि बकाया हो गया़ बकाया राशि में बढ़ोतरी व भुगतान में देरी के कारण शराब कंपनियों ने जेएसबीसीएल पर दबाव बनाने के लिये बीयर की आपूर्ति बंद कर दी थी.