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भागलपुर : सामूहिक चर्चा या भोज नहीं, ये पार्ट थ्री की परीक्षा है…
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में गुरुवार से शुरू हुई पार्ट थ्री परीक्षा के पहले दिन ही सारे-नियम कानून की धज्जियां उड़ गयी. सबौर कॉलेज परीक्षा केंद्र पर पहली पाली में जीएस की परीक्षा थी. कॉलेज भवन के ऊपरी मंजिल पर दरी पर बिठा कर 600 से ज्यादा छात्र-छात्राओं की परीक्षा ली गयी. दरी पर […]
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में गुरुवार से शुरू हुई पार्ट थ्री परीक्षा के पहले दिन ही सारे-नियम कानून की धज्जियां उड़ गयी. सबौर कॉलेज परीक्षा केंद्र पर पहली पाली में जीएस की परीक्षा थी. कॉलेज भवन के ऊपरी मंजिल पर दरी पर बिठा कर 600 से ज्यादा छात्र-छात्राओं की परीक्षा ली गयी. दरी पर छात्र-छात्राएं इस तरह से बैठाये गये थे कि मानो परीक्षा देने नहीं सामूहिक भोज में शामिल हो रहे हों. छात्र-छात्राएं खुलकर नकल कर रहे थे. परीक्षार्थी एक-दूसरे को कॉपी दिखाकर-दिखाकर लिख रहे थे.
सवाल नहीं समझ आ रहा था. जवाब के लिए डिसकस कर लिख रहे थे. यह सारा कुछ वीक्षकों के सामने किया जा रहा था. लेकिन परीक्षार्थियों की इस हरकत को रोकना मुनासिब नहीं समझा गया. वीक्षक आराम से आपस में बातचीत करते रहे. विवि के जानकार बताते हैं कि इस तरह की घटना अंगीभूत कॉलेज में पहली बार घटी है. परीक्षा नियमों की खुले आम अवहेलना की गयी. कॉलेज प्रशासन को उन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत थी. इतना सब कुछ होने के बाद विवि को लगातार सबौर कॉलेज परीक्षा में हुए अव्यवस्था व नकल की जानकारी मिली. विवि प्रशासन ने अपनी गलती छुपाने के लिए कॉलेज प्रशासन पर ही सारी गड़बड़ी का आरोप मढ़ दिया.
विवि को पहले ही किया गया था आगाह
जबकि कॉलेज प्रशासन का कहना था कि विवि को बुधवार को ही फोन व पत्र के माध्यम से आगाह किया गया था कि कॉलेज में 800 के छात्रों की क्षमता है. लेकिन विवि ने एसएसवी कॉलेज कहलगांव व ताड़र कॉलेज के कुल 1600 छात्रों का केंद्र बना दिया. इसमें 1548 छात्र-छात्राएं ही परीक्षा में उपस्थित हुए. कॉलेज के अनुसार आर्ट्स संकाय के छात्रों के जीएस परीक्षा में सबसे ज्यादा उपस्थिति होती है. ऐसे में कॉलेज की क्षमता से अधिक परीक्षार्थियों की संख्या होती है. कॉलेज के पास 800 छात्रों को बैठाने की क्षमता है. इसी आधार पर बेंच-डेस्क भी है. लेकिन विवि ने कॉलेज से छात्रों की क्षमता पूछे बगैर ही केंद्र बना दिया. अचानक से छात्रों की इतनी बड़ी संख्या आने से कॉलेज में जगह की कमी हो गयी. जगह के अभाव में कॉलेज के ऊपरी मंजिला पर दरी बिछा का छात्रों को परीक्षा के लिए बैठाया गया.
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