"अलग रहना, किसी को अलग-थलग कर देना या राष्ट्रवाद हमारे डर को दूर करने के अस्थायी विकल्प तो हो सकते हैं लेकिन दुनिया के लिए अपने दरवाज़े बंद करने से हम दुनिया को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकते. ये हमारे नागरिकों के डर को कम नहीं करेगा ब्लकि उसे और बढ़ाएगा. हम अति राष्ट्रवाद के उन्माद से दुनिया की उम्मीद को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे."
ये शब्द थे फ्रांस के राष्ट्रपति इमेन्युअल मैक्रों के जो अमरीका में तीन दिन के दौरे पर हैं. अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत और ख़ूब गलबहियों के बाद अमरीकी संसद के संयुक्त सत्र के सामने मैक्रों ने साफ़-साफ़ अपने ‘मन की बात’ कह दी.
मैक्रों ने राष्ट्रवाद और अलगाववाद की नीतियों को दुनिया की समृद्धि के लिए ख़तरा बताया.
ये माना जा रहा है कि उनका भाषण अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के अमरीका के लिए बनाए एजेंडा पर हल्की चोट थी.
यूं तो दोनों नेताओं के रिश्ते मज़बूत हैं लेकिन मैक्रों के भाषण से पता चल रहा था कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ईरान से लेकर पर्यावरण के मुद्दे तक वह अमरीकी राष्ट्रपति से सहमत नहीं हैं.
जैसे ही मैक्रों अपना भाषण देने के लिए आए तो संसद ने तीन मिनट तक खड़े होकर तालियां बजाते हुए उनका स्वागत किया.
सबसे पहले तो उन्होंने अमरीका से अपने अटूट रिश्ते के कसीदे पढ़े जिसमें स्वतंत्रता है, सहनशीलता है और बराबर के अधिकार हैं.
क्या-क्या कह डाला मैक्रों ने
50 मिनट लंबे इस भाषण में मैक्रों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमरीका पेरिस क्लाइमेट चेंज समझौते को फिर से अपनाएगा. साथ ही उन्होंने वादा किया कि फ्रांस ईरान के साथ 2015 के परमाणु क़रार को नहीं तोड़ेगा.
ट्रंप पेरिस समझौते से अमरीका को अलग कर चुके हैं और ईरान के साथ परमाणु क़रार को ख़त्म करने की धमकी दे रहे हैं.
मैक्रों का कहना था कि इस समझौते से चाहे सभी चिंताएं दूर नहीं हो रही हैं और ये चिंताएं वाजिब हैं. लेकिन बिना किसी और ठोस विकल्प के हमें इसे यूं ही नहीं छोड़ देना चाहिए.
वहीं, पेरिस समझौते की वकालत करते हुए वे पर्यावरण का मुद्दा उठाते हैं.
उन्होंने कहा, "हमारी ज़िंदगी का मतलब क्या है अगर हम धरती को बर्बाद कर रहे हैं और अपने बच्चों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं. इसे मानिए कि कहीं कोई और धरती नहीं है. भविष्य में हम सबको एक ही सच्चाई का सामना करना पड़ेगा क्योंकि हम सभी इसी धरती पर रहते हैं."
"मुझे उम्मीद है कि अमरीका एक दिन वापस पेरिस समझौते का हिस्सा बनेगा."
व्यापार के मुद्दे पर फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापार युद्ध कोई हल नहीं है क्योंकि इससे सिर्फ़ नौकरियां जाएंगी और कीमतें बढ़ेंगी. हमें विश्व व्यापार संगठन के ज़रिए ही हल खोजना चाहिए. हमने ही वे नियम लिखे हैं तो हमें उन्हें मानना भी चाहिए.
ट्रंप ने हाल ही में यूरोप और चीन के उत्पादों के आयात पर नए टैरिफ़ लगाए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अमरीका दूसरे देशों की ग़लत व्यापारिक नीतियों का शिकार होता रहा है. ट्रंप ने कहा था कि व्यापार युद्ध अच्छे होते हैं और आसानी से जीते जा सकते हैं.
वहीं, राष्ट्रवाद को लेकर मैक्रों ने कहा, "निजी तौर पर मुझे नए शक्तिशाली देश बनने का, आज़ादी छोड़ने का या राष्ट्रवाद के भ्रम का कोई आकर्षण नहीं है."
मैक्रों के भाषण पर संसद की प्रतिक्रिया
डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ सांसद एडम स्कीफ़ ने न्यूज़ एजेंसी एएफपी से कहा कि मैक्रों ने उनकी उम्मीद से ज़्यादा राष्ट्रपति का सीधा-सीधा विरोध किया है.
वहीं, रिपब्लिक पार्टी के जेफ़ फ्लेक ने कहा कि मैक्रों का भाषण ‘ट्रंपवाद’ का बिल्कुल उलट था.
लेकिन रिपब्लिक पार्टी के ही नेता केविन मैक्कार्थी ने किसी तरह के मतभेद से इनक़ार किया.
उन्होंने कहा,"मैक्रों ने भाषण में कहा कि वह स्वतंत्र और सही व्यापार चाहते हैं. वही बात राष्ट्रपति ट्रंप भी चाहते हैं."
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