कुमारग्राम : तेंदुए के हमले में दो चाय श्रमिक घायल हो गये हैं. बुधवार सुबह यह घटना कुमारग्राम ब्लॉक के रायडाक चाय बागान में घटी है. गंभीर रूप से घायलावस्था में दोनों श्रमिकों को पहले रायडाक चाय बागान अस्पताल एवं बाद में जशोडांगा ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. इस घटना से बागान इलाके में आतंक का माहौल है.
स्थानीय सूत्रों से पता चला है कि सुबह लगभग 7 बजे चाय बागान के 25 नंबर सेक्शन में 40 श्रमिक कीटनाशक स्प्रे कर रहे थे. उस समय बागान के नाले में छिपा एक तेंदुआ अचानक श्रमिक किष्णु लोहार (28) के उपर कूद गया. उसे बचाने के आये सहकर्मी सबियानुस धनवर (26) भी घायल हो गया. धनवर ने स्प्रे मशीन से तेंदुआ पर वार किया, जिससे वह भाग गया. तेंदुए के हमले में दोनों श्रमिकों को काफी गंभीर चोटें आयीं. दोनों को पहले रायडाक चाय बागान के अस्पताल में ले जाया गया.
वन विभाग के कर्मियों ने घायलों को जशोडांगा ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया. चाय बागान श्रमिकों ने बताया कि एक महीने पहले भी बागान में तेंदुए के हमले की घटना घटी थी. दूसरी घटना को लेकर श्रमिकों में आतंक है. घटनास्थल पर बक्सा बाघ परियोजना के पूर्व विभाग के अधिकारी प्रदीप बाउड़ी पहुंचे. उन्होंने बताया कि बुधवार को रायडाक चाय बागान में तेंदुए के हमले से दो श्रमिक घायल हुए हैं. वन विभाग की ओर से उनलोगों का इलाज कराया जा रहा है. जरुरत पड़ने पर इससे बेहतर इलाज की व्यवस्था की जायेगी. संबंधित रेंज ऑफिसर को निर्देश दिया गया है.
दो चाय बागानों में दो बाइसनों की मौत
मालबाजार. बुधवार शाम मेटेली ब्लॉक के दो चाय बागान में दो बाइसनों की मौत की खबर से वन विभाग में सनसनी है. एक की मौत चालसा तो दूसरे की मौत मूर्ती चाय बागान में हुई है. स्थानीय व वन विभाग सूत्रों से पता चला है कि बुधवार सुबह चापरामारी जंगल से दो वयस्क बाइसन मुर्ति नदी पार करके चालसा व मुर्ति चाय बागानों में आया था.
दोनों चाय बागानों में श्रमिकों ने बाइसनों को देखा. इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गयी. खुनिया व माल स्क्वाड के वनकर्मी बाइसनों को जंगल लौटाने की कोशिश में असफल रहे. उसके बाद दोनों बाइसनों को बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया. इससे तारघेरा के पास फंसे बाइसन की मौत हो गयी. मृत बाइसन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
दूसरी ओर लगभग एक ही समय में दूसरा बाइसन सूचना चाय बागान में छिपा था. वहां सामसिंग जाने के रास्ते के किनारे बागान में छिपे बाइसन पर वन कर्मियों व पुलिस की नजर पड़ी. यहां इंजेक्शन से उसकी भी मौत हो गयी है. चालसा के पर्यावरणप्रेमी मानवेंद्र दे सरकार ने कहा कि भोजन की तलाश में बाइसन रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं.