नगर पर्षद के वार्डों में शौचालय निर्माण की स्थिति संतोषजनक नहीं
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दो साल में बने मात्र 795 टॉयलेट
नगर पर्षद के वार्डों में शौचालय निर्माण की स्थिति संतोषजनक नहीं वर्ष 2016 में ही तैयार की गयी थी लाभान्वितों की सूची जहानाबाद : शहरी क्षेत्र में स्वच्छता अभियान की सफलता के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. नगर पर्षद क्षेत्र के सभी 33 वार्डों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए स्वच्छ […]
वर्ष 2016 में ही तैयार की गयी थी लाभान्वितों की सूची
जहानाबाद : शहरी क्षेत्र में स्वच्छता अभियान की सफलता के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. नगर पर्षद क्षेत्र के सभी 33 वार्डों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत वैसे परिवारों के घरों में शौचालय निर्माण की योजना है, जो घर में टॉयलेट नहीं रहने के कारण खुले में शौच करने से जाते हैं. इस योजना के तहत शौचालयविहीन परिवारों से आवेदन लिये गये थे. इसमें वर्ष 2016 में 5000 से अधिक आवेदन नगर पर्षद कार्यालय में दिये गये थे, जिसमें 4327 लोगों के घरों में टॉयलेट निर्माण की स्वीकृति दी गयी थी. वर्ष 2018 का अप्रैल माह खत्म होने को है लेकिन दो वर्षों के भीतर मात्र 795 शौचालयों का ही निर्माण हो सका है.
3532 शौचालयों का निर्माण कार्य ठप पड़ा है. इसके लिए सरकार की ओर से दी जाने वाली सहयोग राशि का अभाव है. बताया जाता है कि जो लाभान्वित हैं, वे प्रथम किस्त की राशि की उपयोगिता नहीं दर्शा रहे हैं. इस कारण दूसरी किस्त की राशि उन्हें नहीं दी जा रही है. नगर पर्षद कार्यालय से मिले आंकड़े के अनुसार स्वीकृत 4327 में से 2660 लोगों को सहयोग राशि दी गयी थी. फिलहाल स्थिति यह है कि 1865 चयनित लाभुक प्रथम किस्त की राशि लिये हुए हैं, जिनके शौचालय निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है. जिन 795 लोगों ने टॉयलेट निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है, उन्हें दूसरी किस्त की राशि दे दी गयी है.
लापरवाह लाभुकों को दिया
जा रहा है नोटिस
शौचालय निर्माण के लिए पहली किस्त की राशि प्राप्त कर निर्माण कार्य में लापरवाही बरतने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. ऐसे लोगों की सूची तैयार की जा रही है, जिन्हें नोटिस देकर निर्माण कार्य में तेजी लाने की हिदायत दी जायेगी. इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
संजीव कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पर्षद
दो किस्तों में दी जाती है निर्माण मद की राशि
शौचालय बनाने के लिए जरूरतमंद लोगों के द्वारा दिये गये आवेदन के बाद नगर पर्षद के अधिकारी के आदेश पर कर्मचारी संबंधित लाभान्वितों के घरों में जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेते हैं. उस घर में शौचालय नहीं पाये जाने पर उन्हें लाभान्वितों की श्रेणी में शामिल किया जाता है. सरकार के द्वारा प्रति लाभान्वित 12 हजार रुपये सहयोग राशि देने का प्रावधान है. उक्त राशि लाभान्वितों के खाते में दो किस्तों में दी जाती है.
प्रथम किस्त के रूप में 7500 रुपये और इसकी उपयोगिता प्राप्त होने के बाद दूसरी किस्त के रूप में 4500 रुपये का भुगतान किया जाता है. विडंबना यह है कि जो लाभुक हैं वहीं शौचालय निर्माण में लापरवाही बरत रहे हैं. नगर पर्षद के कर्मी बताते हैं कि प्रथम किस्त की राशि लेकर शौचालय निर्माण को प्रदत्त राशि के मुताबिक काम नहीं किये जाने से दूसरी किस्त का भुगतान करना संभव नहीं है. इस कारण स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण की प्रगति ठीक नहीं है. अभी भी कई परिवार ऐसे हैं, जो खुले में शौच करने पर विवश हैं.
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