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रिटायरमेंट से पहले शुरू किया स्टार्टअप : प्रेरणा

अक्सर सुनने में आता है कि सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 62 वर्ष करने की सिफारिश की है या कर्मचारियों ने सरकार से रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाने की मांग की है, लेकिन क्या आप ऐसे किसी शख्स से मिले हैं, जो रिटायरमेंट से 10 वर्ष पहले ही अपने रिटायरमेंट के बाद […]

अक्सर सुनने में आता है कि सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 62 वर्ष करने की सिफारिश की है या कर्मचारियों ने सरकार से रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाने की मांग की है, लेकिन क्या आप ऐसे किसी शख्स से मिले हैं, जो रिटायरमेंट से 10 वर्ष पहले ही अपने रिटायरमेंट के बाद की तैयारी शुरू कर ले? ऐसे साहसी बिरले ही देखने को मिलते हैं.

आज की कहानी एक ऐसे महिला की है, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट से पहले ही अपने रिटायरमेंट की तैयारी शुरू कर दी. अपने खाली समय का सदुपयोग करने के लिए एक स्टार्टअप की स्थापना की और उसे नाम दिया ‘द रिटायरमेंट प्लान.’ मुंबई की रहने वाली अनु टंडन विएरा (50) की, जिन्होंने मुंबई के गोरेगांव में कंपनी के कारखाने में वेस्ट मटीरियल (जैसे कि पुराने टायर्स और प्लास्टिक आदि) से स्टाइलिश फर्नीचर तैयार करने का स्टार्टअप शुरू किया है.
फैमिली ट्रिप से बदल गयी जिंदगी
अनु बताती हैं कि जब उनकी उम्र लगभग 50 साल हो चली थी, तब वह अपने पूरे परिवार के साथ ग्रीस की ट्रिप पर गयी थीं. इस ट्रिप ने उनकी जिंदगी को एक नया मोड़ दिया और स्टार्टअप की नींव भी इस ट्रिप ने ही रखी. आइलैंड पर उन्होंने एक महिला को देखा, जिसकी उम्र लगभग 60 साल होगी. वह महिला फैब्रिक पर कारीगरी करते हुए तरह-तरह की क्रिएटिव चीजें बना रही थी. उस महिला को काम करते हुए देख अनु को इतनी खुशी मिली, जितनी उसे पहले कभी किसी नहीं मिली. उसी समय उन्होंने अपना रिटायरमेंट प्लान कर लिया. इस प्लान को उन्होंने नाम दिया- ‘द रिटायरमेंट प्लान.’
रिटायरमेंट प्लान के लिए चुना ‘रिटायर्ड मटीरियल’
अनु टंडन ने अपने रिटायरमेंट प्लान के लिए भी उन चीजों को चुना, जो रिटायर (वेस्ट मटीरियल) हो चुकी हैं. अनु की दिलचस्पी हमेशा फैकटरीज के बाहर रखे हुए डस्टबिन्स में थी. ग्रीस ट्रिप से आने के बाद वह अपने कॉलेज एनआइडी पहुंची, जहां वह विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर जाती रहती हैं. कॉलेज में उन्होंने टेक्स्टाइल की रद्दी से बुनाई के लिए तैयार रंगीन सामग्री देखी. इससे उन्हें अपने लिए आइडिया मिला. वह प्लास्टिक और टेक्स्टाइल की रद्दी के साथ घर आयीं और उनपर प्रयोग शुरू किया. मुंबई एक बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल शहर है और इसलिए उन्हें रॉ-मटीरियल के लिए कोई खास चिंता नहीं करनी पड़ी.
साथ ही, इस आइडिया से उनके स्टार्टअप को एक रचनात्मक रूप भी मिल रहा था. इसमें उन्हें साथ मिला अपनी एक दोस्त का, जिन्होंने अनु को मझगांव के पास एक डॉक पर खाली जगह दे दी. यहीं पर अनु ने वेस्ट मटीरियल्स पर अपने प्रयोग शुरू किये. वह ऑटो शॉप्स से पुराने टायर, गुजरात-राजस्थान से चिंदी और फैकटरियों से इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक खरीदती हैं. इन बेकार हो चुकी चीजों से ही कुछ नया बनाया जाता है. अनु कहती हैं कि उन्हें ऐसा लगता है कि इस काम के माध्यम से वह नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल रही हैं.
कंपनी के कारीगरों के आइडिया को देती हैं प्राथमिकता
चेन्नई, बेंगलुरु, पुदुचेरी, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद और पुणे समेत ‘द रिटायरमेंट प्लान’ ने देशभर में 15 डिजाइन स्टोर्स के साथ करार कर रखा है. यहां काम करने वाले उनके कारीगर भी अपने काम से खुश हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वे कुछ नया कर रहे हैं और उनके बनाये उत्पाद पर उनका हक है. कंपनी के कारीगर खुद अपनी तरफ से भी आइडिया लेकर आते हैं और अनु उनके सुझावों का पूरा ख्याल रखती हैं.
नहीं है बहुत बड़ा बनने की महत्वाकांक्षा
भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए अनु कहती हैं कि वह इसे बहुत बड़ा नहीं बनाना चाहतीं क्योंकि यह सिर्फ पैसों के लिए नहीं है. यह काम वह अपनी और दूसरों की संतुष्टि के लिए और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए कर रही हैं. वह चाहती हैं कि उनके कारीगर एक ही उत्पाद को को दोहराने के बजाय नये-नये प्रयोग करते रहें. वह चाहती हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनकी कंपनी के जरिये काम मिले.
यहां लगा चुकी हैं प्रदर्शनी
द इंडिया स्टोरी कोलकाता 2015, 2016
इंडिया डिजाइन आइडी दिल्ली 2015
डिजाइन फेस्टिवल लंदन 2016

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