नयी दिल्ली : पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के कर्मचारियों ने डूबे कर्ज की वसूली के लिए अनूठा अभियान ‘गांधीगिरी’ शुरू किया है. इसके तहत बैंक के कर्मचारी डिफाल्टरों के दफ्तर और कार्यालयों के बाहर शांति से तख्तियां लेकर बैठते हैं. पीएनबी को उम्मीद है कि इस तरह से भुगतान नहीं करने वाले पुराने कर्जदारों को शर्मिंदा कर वह हर महीने 150 करोड़ रुपये के पुराने फंसे कर्ज की वसूली करेगा. पीएनबी का मिशन गांधीगिरी एक साल तक चलेगा.
सार्वजनिक क्षेत्र का यह बैंक 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले के सामने आने के बाद पहले से ही काफी आलोचना झेल रहा है. मिशन गांधीगिरी की शुरुआत पीएनबी ने मई, 2017 में की थी. इसके तहत बैंक की एक टीम कर्जदार के दफ्तर या घर जाकर वहां शांति से बैठती है. फिलहाल बैंक के 1,144 फील्ड कर्मचारी इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं.
बैंक ने बयान में कहा कि इस मुहिम के तहत हमारा इरादा डिफाल्टरों को बातचीत की मेज पर लाना है जिससे हर महीने 100 से 150 करोड़ रुपये का डूबा कर्ज वसूला जा सके. बैंक पहले ही 1,084 लोगों को जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला घोषित कर चुका है. उनसे ऐसे 260 चूककर्ताओं की तस्वीरे अखबारों में छपवाई हैं. बैंक ने कहा कि चूककर्ताओं के खिलाफ उसके आक्रामक रुख से पिछले कुछ माह में 150 पासपोर्ट जब्त किये गये हैं.
बैंक ने 37 चूककर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की है. इसके अलावा बैंक ने कर्ज वसूली के लिए डेटा विश्लेषण तथा जोखिम प्रबंधनको एक प्रमुख क्रेडिट एजेंसी से गठजोड़ किया है. दिसंबर, 2017 तक पीएनबी की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) कुल ऋण का 12.11 प्रतिशत या 57,519 करोड़ रुपये थीं.
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