सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर पर सीबीएसई का पाठ्यक्रम लागू रहने के बावजूद सरकार के किसी भी स्तर के शैक्षणिक दावे को टांय-टांय फिस होता बताया जा रहा है. वर्ष 2008 से 2017 तक 50 फीसदी परीक्षार्थी
मैट्रिक व इंटर में फेल हो जाते हैं. राज्य के हर शिक्षा क्षेत्र में सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति हो रही है, जिसका परिणाम पूरा राज्य देख रहा है. मंत्रालय में प्रतिदिन अपने मन मुताबिक नियम कानून लाया जा रहा है, पर विद्यालय में वर्गवार शिक्षक तथा समय पर किताबें देने में किसी भी तरह की पहल नहीं की जाती है. शैक्षणिक प्रतिष्ठान पूर्व की तरह रहने दिया जाये और व्यवस्था को रंग रूप देने की आवश्यकता है.
नवल किशोर सिंह, दुमका