रिखियापीठ में अक्षय तृतीया पर देश-विदेश के शिष्यों को मिली दीक्षा
देवघर : रिखियापीठ में अक्षय तृतीया अनुष्ठान बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न हुआ. स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगीजी की उपस्थित में तमिलनाड़ु की ललिता महिला समाज की दक्ष योगिनियों ने पूर्णाहुति की. स्वामी निरंजनानंदजी ने अक्षय तृतीया में देश-विदेश के शिष्यों को दीक्षा दी.
उन्होंने कहा कि दीक्षा ज्ञान व भक्ति का माध्यम है. व्यक्ति को समझ से ही ज्ञान की शुरुआत होती है. समझ अनमोल रत्न है, समझ से ही करुणा व शास्त्रों का ज्ञान अर्जित होता है. भारत के वैदिक ज्ञान व भक्ति से यह संसार भी वैदिक बनेगा. जब पूरी दुनिया वैदिक बनेगा तभी पूरा संसार श्रेष्ठ बनेगा. स्वामी निरंजनानंदजी ने कहा कि संगीत व शास्त्र के ज्ञान के अभाव में मनुष्य बगैर पुंछ के पशु के
समान है.
संगीत व शास्त्र का ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को रखना चाहिए. दीक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्ति अगर ईश्वर व गुरु की भक्ति के मार्ग में जुड़े गये. अक्षय तृतीया में गाय, रिक्शा, ठेला समे ग्रामीणों को घरेलू उपयोग की वस्तुएं दान में दी गयी.