II डॉ स्मिता दत्ता II
प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ, पाॅपुलर नर्सिंग होम, रांची
आमतौर पर मेनोपॉज की अवस्था महिलाओं में 45 सालके बाद व 55 साल से पूर्व देखी जाती है. हालांकि, अत्यधिक तनाव व बदली जीवनशैली के कारण अब यह काफीपहले भी आ जाता है.
महिलाओं में बदलती उम्र के साथ कई बदलाव आते हैं- जैसे किशोरावस्था में पीरियड्स का शुरू होना, स्तन का उभार आना, शादी और गर्भवती होना. 45 के पार होते-होते मेनोपॉज की स्थिति. उम्र के इन पड़ावों पर कुछ महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें अधिक ब्लीडिंग और असहनीय पेल्विक पेन (पेड़ू में दर्द) शामिल हैं. बदलती जीवनशैली के कारण अनियमित पीरियड्स, अधिक ब्लीडिंग, शरीर के जोड़ों में दर्द, कमर और पीठ में दर्द आदि भी.
मेनोपॉज वह अवस्था है, जो आम तौर पर 45 की उम्र के बाद महिलाओं को होता है. यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि महिलाओं की उम्र ढलने की अवस्था है. जब महिला को एक साल से अधिक तक पीरियड्स न आये या कहें कि हमेशा के लिए बंद हो जाये, तो उसे मेनाेपॉज की अवस्था कहते हैं.
वहीं 40 की उम्र या उससे कम में पीरियड्स आने बंद हो जायें, तो इसे प्रीमेच्योर मेनोपॉज कहते हैं. इसका प्रमुख कारण है अंडेदानी से ऑव्यूलेशन का न होना. इसकी वजह से इस्ट्रोजेन और पोजेस्ट्रॉन हॉर्मोंस की कमी होने लगती है. यह प्रीमेच्योर ओवेरियन फेल्योर के कारण भी हो सकता है.
प्रमुख लक्षण : प्रीमेच्योर मेनोपॉज की स्थिति में महिला का मिजाज ठीक नहीं रहता. मूड स्वींग्स की समस्या के कारण वह चिड़चिड़ी हो सकती है. वजाइना मेें सूखापन या खुश्की हो सकती है, जिसके कारण जलन भी होती है. अचानक गर्मी या ठंड का आभास हो सकता है. कई महिलाओं की बोन डेंसिटी भी कम हो जाती है, जिस कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं.
उपचार : प्रीमेच्योर मेनोपॉज का इलाज संभव नहीं, पर इस दौरान हाेनेवाली कॉम्प्लीकेशंस को कम जरूर किया जा सकता है, जैसे – ऑस्टोपोरोसिस और बोन डेंसिटी ठीक करने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी-3 की गोलियां लेना. अनियमित पीरियड्स पर हॉर्मोनल थेरेपी दी जाती है. तीन माह से अधिक तक पीरियड्स न हो, तो डॉक्टर की सलाह लें. बातचीत : सौरभ चौबे