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डेनिश महिला से गैंगरेप मामला : हार्इकोर्ट ने पांच दोषियों की सजा को रखा बरकरार

नयी दिल्ली : दिल्ली हार्इकोर्ट ने 52 साल की डेनिश महिला से 2014 में हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में पांच दोषियों को सुनायी गयी मौत होने तक आजीवन कारावास की सजा को सोमवार को बरकरार रखा. अदालत ने कहा कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक साक्ष्य डीएनए रिपोर्ट ने उनके गुनाह को साबित किया. हालांकि, अदालत […]

नयी दिल्ली : दिल्ली हार्इकोर्ट ने 52 साल की डेनिश महिला से 2014 में हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में पांच दोषियों को सुनायी गयी मौत होने तक आजीवन कारावास की सजा को सोमवार को बरकरार रखा. अदालत ने कहा कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक साक्ष्य डीएनए रिपोर्ट ने उनके गुनाह को साबित किया. हालांकि, अदालत ने अपराध का सही साइट प्लान नहीं तैयार करने में जांच अधिकारी की चूक को गंभीरता से लिया. अदालत ने कहा कि यह ‘बेहद महत्वपूर्ण’ था, क्योंकि ऐसा विरले होता है कि इस तरह के अपराधों में पीड़ित के अलावा कोई गवाह होता है.

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न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने कहा कि विदेशी महिला से पांच घंटे तक बलात्कार किया गया और अगर उससे झाड़ियों के बीच निर्जन स्थान पर बलात्कार हुआ, तो जांच अधिकारी को खुद को निर्माण क्षेत्र के पास टीले पर खड़ा होकर खुद को संतुष्ट करना चाहिए था कि क्या अपराध स्थल दिख रहा था और ‘अपराध स्थल की पुनर्रचना की बुनियादी कवायद नहीं की गयी. हार्इकोर्ट ने दोषियों की अपील को खारिज कर दिया. दोषियों ने निचली अदालत के उन्हें दोषी ठहराने और सजा सुनाने के 2016 के फैसले को चुनौती दी थी.

निचली अदालत ने दोषियों में महेंद्र उर्फ गंजा (25), मोहम्मद रजा (23), राजू (23), अर्जुन (21) और राजू छक्का (30) को उनके अपराध के लिए सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा था कि यह मृत्यु पर्यंत चलेगी. अदालत ने राजू और राजू छक्का पर 81-81 हजार और महेंद्र और मोहम्मद रजा पर 91-91 हजार तथा अर्जुन पर एक लाख हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. पीठ ने कहा कि पीड़िता की गवाही और डीएनए रिपोर्ट से दोषियों के अपराध को साबित करने में मदद मिली. ये पुख्ता सबूत थे.

इस बीच, उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में एक प्रत्यक्षदर्शी द्वारा दी गयी गवाही को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसे नैसर्गिक गवाह नहीं माना जा सकता है. उस व्यक्ति ने दावा किया था कि उसने आरोपियों को पीड़िता के साथ अपराध करते देखा था. पीठ ने कहा कि गवाह ने निर्माण स्थल पर खड़ा होने और अपराध को देखने का दावा किया, लेकिन पुलिस ने जो साइट प्लान तैयार किया, वह निर्माण स्थल को दिखाती है, लेकिन उस स्थान को नहीं दिखाया गया, जहां व्यक्ति खड़ा था. यहां तक कि प्रत्यक्षदर्शी से भी निचली अदालत में इस पहलू के बारे में नहीं पूछा गया.

अदालत ने कहा कि मामले की जांच करने में जांच अधिकारी की लापरवाही देखी गयी है. मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता अमित चड्ढा ने कहा कि सभी आरोपियों का डीएनए डेनमार्क के कोपनहेगन और भारत में पीड़िता की अन्य वस्तुओं से लिये नमूनों से मेल खा गया और महिला से घटना के बाद निचली अदालत में पूछताछ की गयी. इसलिए कुछ संलिप्तता स्वीकार की जानी चाहिए. अदालत ने दोषियों के वकील की दलील को खारिज कर दिया कि अभियोजन पक्ष ने मीडिया के दबाव में साक्ष्य के साथ हेराफेरी की.

अदालत ने कहा कि डीएनए प्रोफाइल ने अपराध से दोषियों का संबंध जोड़ा और डेनमार्क के अधिकारियों द्वारा भेजी गई फॉरेंसिक रिपोर्ट और भारत में तैयार डीएनए रिपोर्ट में समानता थी. अदालत ने कहा कि अगर आरोपियों का डीएनए महिला द्वारा घटना के वक्त पहनी गयी टॉप पर पाया गया, तो आरोपियों को यह स्पष्ट करना है कि कैसे वहां पहुंचा. पीठ ने कमजोर जांच को रेखांकित करते हुए कहा कि डीएनए रिपोर्ट के बिना अभियोजन का पूरा मामला बिगड़ जाता, जो बेहद दुखद होता.

पीठ ने अपील पर दलीलों को सुनने के दौरान कहा कि यह चमत्कार ही है कि डीएनए प्रोफाइलिंग का मिलान हो गया. अन्यथा यह मामला कहीं नहीं बढ़ता. पीठ ने कहा कि पीड़िता निचली अदालत में आरोपी के वकील द्वारा की गयी जिरह के दौरान दृढ़ रही. निचली अदालत ने 10 जून, 2016 को पांचों दोषियों को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. अदालत ने कहा था कि महिला का अपहरण करने और उसके बाद उससे सामूहिक बलात्कार करने के उनके ‘अमानवीय’ और ‘बर्बर’ कृत्यों ने राष्ट्र की प्रतिष्ठा पर दाग लगाया था.

अदालत ने पांचों को आईपीसी की धारा 376 (डी) (सामूहिक बलात्कार), धारा 395 (डकैती), धारा 366 (अपहरण), धारा 342 (कैद करके रखने), धारा 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 34 (समान आशय) के लिए दोषी ठहराया था. छठे आरोपी 56 वर्षीय श्याम लाल की इस साल फरवरी में मृत्यु हो गयी थी और उसके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई समाप्त कर दी गयी थी. तीन अन्य आरोपी किशोर थे. पुलिस के अनुसार, नौ लोगों ने 14 जनवरी, 2014 की रात को डेनिश महिला पर्यटक के साथ लूटपाट की और चाकू का भय दिखाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया.

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