जम्मू /नयी दिल्ली : कठुआ गैंगरेप-हत्या मामले की सुनवाई जम्मू-कश्मीर से बाहर करवाने की पीड़िता के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस भेजा है. पीड़िता के पिता की तरफ से कोर्ट में दलील पेश कर रहीं सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट के सामने कहा कि वहां का माहौल निष्पक्ष सुनवाई के लायक नहीं लोगों का ध्रुवीकरण हो गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य की पुलिस ने बढ़िया काम किया है और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और वैज्ञानिक तरीके से सबूत जुटाये हैं.
इधर कठुआ गैंगरेप-हत्या मामले में आज जम्मू-कश्मीर की एक कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, वहीं पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में यह गुहार लगायी है कि मामले की सुनवाई को जम्मू-कश्मीर से बाहर ट्रांसफर कर दिया दिया जाये, इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट दोपहर दो बजे सुनवाई करेगी. आज हुई सुनवाई में कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी आरोपियों को चार्टशीट की कॉपी उपलब्ध करायी जाये और अगली सुनवाई की तारीख 28 अप्रैल तय कर दी है. आरोपियों के वकील ने कहा है कि नार्को टेस्ट में सबकुछ साफ हो जायेगा इसलिए हम टेस्ट के लिए तैयार हैं.
Court directed that chargesheet copies should be provided to all accused, we are ready for narco tests. Next date of hearing is April 28: Ankur Sharma, Counsel for accused. #KathuaCase pic.twitter.com/71bLDJS1St
— ANI (@ANI) April 16, 2018
Court directed that chargesheet copies should be provided to all accused, we are ready for narco tests. Next date of hearing is April 28: Ankur Sharma, Counsel for accused. #KathuaCase pic.twitter.com/71bLDJS1St
— ANI (@ANI) April 16, 2018
#Kathua case victim's father approaches the Supreme Court seeking safety, security & transfer of the case outside #JammuAndKashmir; court to hear the matter at 2 pm
— ANI (@ANI) April 16, 2018
वहीं पीड़ित बच्ची का केस लड़ने वाली वकील दीपिका सिंह राजावत को रेप और जान से मारने की धमकी दी जा रही है. दीपिका ने एक न्यूज एजेंसी के साथ बात करते हुए बताया कि उन्हें धमकी मिल रही है. दीपिका इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में शिकायत भी करने वाली हैं. दीपिका ने बताया कि मेरी जिंदगी खतरे में है और मैं नहीं जानती कि मैं कबतक जीवित रहूंगी. जम्मू बंद के दिन भी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दीपिका सिंह को यह केस लड़ने से रोका था और धमकी दी थी. दीपिका सिंह राजावत मानवाधिकारों के लिए काम करती हैं और एक एनजीओ Voice For Rights चलाती हैं, जिसकी वे चेयरपर्सन हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अप्रैल को जम्मू बार एसोसिएशन तथा कठुआ बार एसोसिएशन को आड़े हाथ लिये जाने के बाद अब सुनवाई सुचारू ढंग से चलने की उम्मीद है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में कुछ वकीलों द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने पर कड़ी आपत्ति जतायी थी.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने जम्मू उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की भी आलोचना की थी जिसने प्रस्ताव पारित करके अदालती कार्यवाही में शामिल नहीं होने को कहा था. अपराध शाखा द्वारा दायर आरोपपत्रों के अनुसार , बकरवाल समुदाय की लड़की का अपहरण , बलात्कार और हत्या एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी ताकि इस अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को इलाके से हटाया जा सके. इसमें कठुआ के एक छोटे गांव के एक मंदिर के रखरखाव करने वाले को इस अपराध का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है.
सांजी राम ने कथित रूप से विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा , मित्र प्रवेश कुमार उर्फ मन्नु , राम के भतीजे एक नाबालिग और उसके बेटे विशाल उर्फ ‘ शम्मा ‘ के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया. आरोपपत्र में जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल तिलक राज और उपनिरीक्षक आनंद दत्ता को भी नामजद किया गया है जिन्होंने राम से चार लाख रुपये कथित रूप से लेकर महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किये. आठों आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. अपराध शाखा जम्मू बार एसोसिएशन और कठुआ बार एसोसिएशन को सुप्रीम कोर्ट के सामने 19 अप्रैल को पेश होने के लिए जारी नोटिस सौंपेंगी.