पटना : एससी-एसटी एक्ट पर चल रहे विवाद पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2015-16 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम-2015 लाकर एससी-एसटी एक्ट को मजबूत करने का काम किया है. इस संशोधन के जरिये अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को और अधिकार दिये गये हैं.
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुनिश्चित किया कि किसी भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उम्मीदवार बनने से रोके जाने, मतदान देने से रोके जाने या फिर नामांकन करने से रोके जाने को इस कानून के तहत अपराध माना जायेगा. साथ ही लोकतांत्रिक अधिकारों पर रोक लगाने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है. वहीं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को गलत इरादे से छूने या अपमान करने की कोशिश करेगा, तो वह भी अपराध माना जायेगा. ‘सहमति’ की भी इस कानून में व्याख्या की गयी है. अगर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिला ‘खामोश’ रहती है, तो उसे उसकी ‘सहमति’ नहीं मानी जायेगी. साथ ही कहा कि आदिवासी समाज में महिलाओं को ‘देवदासी’ कहे जाने की परंपरा है. अब ‘देवदासी’ कहने को भी अपराध माना जायेगा.
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मामले पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने कहा कि यह मामला बंबई हाईकोर्ट का है. इसमें केंद्र सरकार पार्टी नहीं थी और न ही सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार पार्टी थी. यह फैसला 20 मार्च, 2018 को आया था. मात्र पांच दिनों में ही इस फैसले के खिलाफ भारत सरकार ने रिव्यु पिटीशन तैयार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट बंद होने के कारण इसे 11 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया.
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश के गरीबों और दलितों के हित में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारी सरकार ने एससी-एसटी के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने, दलितों के लिए वेंचर स्कीम लागू करने का काम कर रही है. भाजपा के पास सबसे ज्यादा दलित सांसद, विधायक होने के कारण विपक्ष परेशान हो रहा है.