नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमों के आवंटन की वर्तमान प्रक्रिया को चुनौती देने वाली पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की जनहित याचिका पर सुनवाई करने का आज निश्चय किया. मौजूदा व्यवस्था के तहत सुनवाई के लिए मुकदमों का आवंटन प्रधान न्यायाधीश करते हैं. न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से इस याचिका पर सुनवाई में मदद करने का आग्रह किया है.
याचिका में दलील दी गयी है कि प्रधान न्यायाधीश सुनवाई के लिए मुकदमों का आवंटन करने के अधिकार का मनमाने तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते. हालांकि पीठ ने उस समय आपत्ति की जब भूषण के वकील ने 12 जनवरी की असाधारण घटना की ओर उसका ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया. यह घटना शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों , न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर , न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की संयुक्त प्रेस कांफ्रेस से संबंधित है जिसमे उन्होंने प्रधान न्यायाधीश पर मनमाने तरीके से मुकदमों का आवंटन करने का आरोप लगाया था.
पीठ ने सख्त लहजे में कहा , ‘ हम इस पर गौर करने नहीं जा रहे हैं. कई कारणों से हमारा इससे कोई सरोकार नहीं है. यह सब मत कहिए.’ पीठ ने इसके साथ ही शीर्ष अदालत के हालिया फैसले का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें पहले ही यह व्यवस्था दी जा चुकी है कि प्रधान न्यायाधीश ‘ रोस्टर के मुखिया ‘ हैं.