सिहोर : केंद्र सरकार की आेर से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना बढ़ाये जाने के लिए की जा रही कवायद के बीच भाजपा शासित राज्य में टमाटर किसानों को उनकी फसल को लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है. इस वजह से यहां के किसानों को खुले में ही अपना टमाटर फेंकना पड़ रहा है. सूबे में टमाटर का बंपर उत्पादन होने की वजह से मंडियों में इसकी आवक बढ़ी हुर्इ है. यहां के सिहाेर जिले के किसान टमाटर की लागत नहीं निकल पाने की वजह से उन्हें खुले में ही फसल को फेंकना पड़ रहा है.
Madhya Pradesh: Farmer in Sehore throws away tomatoes after he did not get fair and adequate price for the produce, says, 'i have earned only Rs 680 for 100 crates of tomatoes whereas the expense was Rs 3320. The situation is not good.' pic.twitter.com/3PJkccd6OS
— ANI (@ANI) April 13, 2018
इस जिले के किसानों का कहना है कि मंडियों में 100 कैरेट टमाटर की बिक्री करने के बाद उन्हें केवल 680 रुपये ही मिल रहे हैं. इन किसानों का कहना है कि सौ कैरेट टमाटर में उनकी लागत 3320 रुपये आती है आैर मंडी में आने पर उन्हें इनकी कीमत के रूप में केवल 680 रुपये ही मिल रहे हैं.
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इसके पहले इसी साल फरवरी महीने में भी मध्य प्रदेश की मंडियों में टमाटर की आवक अचानक बढ़ जाने की वजह से किसानों को उनकी लागत का मूल्य नहीं मिल रहा थाु. उस समय भोपाल की मंडी में टमाटर का थोक भाव पांच रुपये प्रति किलो पहुंच गया था, जबकि इंदौर की चौइथराम मंडी में तो टमाटर थोक में दो से चार रुपए तक किलो बिक रहा था. किसानों की शिकायत है कि इस साल उन्हें टमाटर की लागत भी नहीं निकल पा रही है.
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