नयी दिल्ली : सीबीआई ने आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर हारून राशिद खान से हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से संबंधित बैंक धोखाधड़ी मामले तथा पिछली यूपीए सरकार द्वारा कथित तौर पर कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए सोना आयात के नियमों में ढील दिये जाने के सिलसिले में शुक्रवार को पूछताछ की. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में दो अरब डॉलर के घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने जिन लोगों से पूछताछ की है, उनमें खान आरबीआई के सबसे वरिष्ठ पूर्व अधिकारी हैं. पीएनबी घोटाले को देश के वित्तीय इतिहास में सबसे बड़ा माना जाता है. सूत्रों ने बताया कि सीबीआई की पूछताछ उस वक्त के नीतिगत ढांचे के इर्द-गिर्द केंद्रित रही, जब पीएनबी ने मोदी और चौकसी को फर्जी ‘गारंटी पत्र’ (एलओयू) जारी किये थे. अधिकारियों ने बताया कि खान से यूपीए सरकार की 20:80 सोना आयात योजना के बारे में पूछताछ की गयी जिसकी मंजूरी तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम चुनाव की मतगणना से महज तीन दिन पहले 13 मई 2014 को दी थी. इस योजना से कथित तौर पर चौकसी की कंपनी और कुछ अन्य को अप्रत्याशित लाभ हासिल करने में मदद मिली थी.
हालांकि, जांच एजेंसी ने खान से किये गये सवालों की प्रकृति का खुलासा नहीं किया. खान को एक जुलाई 2011 को डिप्टी गवर्नर के पद पर पदोन्न्त किया गया था और चार जुलाई 2014 को और दो साल के लिए उनकी पुनर्नियुक्ति की गयी थी. वह आरबीआई में वित्त बाजार, आंतरिक ऋण प्रबंधन विभागों, विदेशी प्रबंधन सहित अन्य के प्रभारी थे. अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने गुरुवारको भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तीन मुख्य महाप्रबंधकों और एक महाप्रबंधक से पूछताछ की थी. इन चारों अधिकारियों से यूपीए सरकार की सोना आयात योजना के बारे में पूछताछ की गयी थी. खान से पूछताछ इसी प्रक्रिया को जारी रखते हुए है.
आरबीआई सूत्रों ने बताया कि इसके अधिकारियों से अन्य जांच एजेंसियां और विनियामक नियमित रूप से विचार विमर्श करते हैं ताकि केंद्रीय बैंक के तहत बैंकिंग और अन्य नीतिगत विषयों पर स्पष्टता मुहैया हो सके. इस मामले में यही चीज हुई है. सरकार ने एक बयान में कहा है कि संप्रग सरकार की 20:80 योजना से छह महीनों में13 कारोबारी घरानों को4,500 करोड़ रुपये का अप्रत्याशित लाभ हुआ. भाजपा ने पिछले महीने चिदंबरम पर नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की सहायता करने का आरोप लगाया था. ये दोनों कारोबारी 12600 करोड़ रुपये के पीएनबी धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी हैं.