नयी दिल्ली/पटना : उच्चतम न्यायालय ने बिहार विधान परिषद की सदस्यता से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अयोग्य ठहराने की मांग करनेवाली एक दूसरी जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस बात पर नाराजगी प्रकट की कि इसी मुद्दे पर अपनी पिछली जनहित याचिका खारिज होने के बाद भी वकील एमएल शर्मा ऐसी ही राहत की मांग करते हुए एक अन्य याचिका के साथ यहां पहुंचे गये और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इसमें पक्षकार बना दिया. पीठ ने कहा, ‘आपने उचित तरीके से तैयार याचिका दायर नहीं की. हम दो सप्ताह पहले इसी मुद्दे पर अन्य पक्ष का जवाब मिलने के बाद आपकी याचिका खारिज कर चुके हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय को पक्षकार क्यों बनाया गया.’
शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को यह कहते हुए याचिकाकर्ता की पिछली याचिका खारिज कर दी थी कि उसमें दम नहीं है. अदालत ने कहा था कि कोई भी उम्मीदवार अपने खिलाफ लंबित किसी आपराधिक मामले को उजागर करने के लिए तभी उत्तरदायी है जब कोई अदालत उसका संज्ञान ले. याचिकाकर्ता ने कुमार को इस आधार पर अयोग्य ठहराने की मांग की थी कि उन्होंने कथित रूप से यह तथ्य छिपा दिया कि उनके विरुद्ध हत्या का मामला लंबित है.