नयी दिल्ली : भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के देशों में राजनियकों का उत्पीड़न किये जाने के मामले में उपजे आपसी विवाद को सुलझाने के लिए सहमत हो गये हैं.
विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने गुरुवारको राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि गत 30 मार्च को दोनों देशों ने इस मुद्दे को भारत और पाकिस्तान में राजनयिक/महावाणिज्यदूत के साथ बर्ताव संबंधी दिशा-निर्देश 1992 के अंतर्गत इस मुद्दे को सुलझाने पर सहमति जतायी है. दिशा-निर्देशों में दोनों देशों के राजनयिकों और वाणिज्य दूतावासों के अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत प्राप्त विशेषाधिकारों का उल्लंघन किये बिना सुचारू कार्यसंचालन को सुनिश्चित करने के प्रावधान किये गये हैं. दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि दोनों देशों को एक-दूसरे के खिलाफ आक्रामक निगरानी और घुसपैठ का सहारा लेने, मौखिक एवं शारीरिक शोषण और फोन लाइन काटने जैसी कार्रवायी से बचना चाहिए.
सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने समय-समय पर इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में अधिकारियों के शोषण और आक्रामक निगरानी की घटनाओं के अलावा उच्चायोग में अधिकारियों के आवासीय परिसर के शीघ्र निर्माणकार्य में बाधा उत्पन्न करने का मामला उठाया है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान से इन मुद्दों पर समाधान निकालने और भारतीय राजनियकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया है. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने गत 22 मार्च को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के समक्ष मौखिक राजनयिक संवाद में भारतीय उच्चायोग ने वरिष्ठ अधिकारियों के शोषण की तीन घटनाओं का विशेष रूप से जिक्र किया था.
दूसरी ओर पाकिस्तान ने सात मार्च के बाद से अपने राजनियकों के शोषण और धमकाने की 26 घटनायें होने का दावा करते हुए भारत में अपने उच्चायुक्त सोहेल मोहम्मद को इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए स्वदेश बुला लिया था. पाकिस्तान और चीन सहित अन्य पड़ोसी देशों के साथ लंबित विवादों पर बातचीत के लिए पृथक नीति अपनाने से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में सिंह ने बताया कि पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय बातचीत जारी रखना एक सतत प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान दिसंबर 2015 में समग्र द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने पर सहमत हुए थे और वार्ता की रूपरेखा तय करने के लिए दोनों देशों के विदेश सचिवों को अधिकृत किया गया था. हालांकि, जनवरी 2016 में पठानकोट आतंकी हमले और सीमापार घुसपैठ में इजाफे के कारण यह वार्ता नहीं हो सकी.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार शिमला समझौते और लाहौर घोषणा के तहत आपसी विवाद के मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है. इसकी एकमात्र शर्त आतंकमुक्त वातावरण बनाना है और यह जिम्मेदारी पाकिस्तान के ऊपर है. चीन के बारे में सिंह ने कहा कि भारत और चीन आपसी सहयोग को बढ़ाने लिए द्विपक्षीय बातचीत की प्रक्रिया का दायरा बढ़ाने पर काम कर रही है. इसके लिए सभी स्तरों पर आपसी समझ और विश्वास को मजबूत बनाने के लिये संवाद की प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से सीमा विवाद लंबित है.