लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने हाल में राजधानी के अंदर बीपीएड डिग्रीधारकों के धरना-प्रदर्शन के कारण आम लोगों को हुई दिक्कतों का स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक को इस समस्या के समाधान के लिये उठाये गये कदमों के बारे में 10 अप्रैल तक अवगत कराने के आदेश दिये हैं.
अदालत ने शासन को निर्देश दिये कि वह ऐसे धरना-प्रदर्शन के लिये शहर के बाहर इंतजाम करे. यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने गत 28 मार्च को बीपीएड प्रदर्शनकारियों की वजह से लखनऊ में हुई ट्रैफिक समस्या की खबरों का स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि विरोध प्रदर्शन लोगों की असंतुष्टि जाहिर करने का एक जरिया हो सकती है लेकिन इसकी वजह आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़े तो इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती.
स्कूल जाने वाले बच्चों, दफ्तर जाने वालों, आवश्यक कार्य से बस-ट्रेन पकड़ने निकले लोगों और मरीजों को ऐसे विरोध प्रदर्शनों के कारण लगने वाले जाम से खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अदालत ने कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के इस रवैये से स्तब्ध है कि पहले वह ऐसे प्रदर्शनों की इजाजत दे देते हैं और फिर उन्हें नियंत्रित करने की व्यवस्था भी नहीं करते. ऐसा लगता है सरकार ने भी सड़क और राजमार्गों पर ऐसे प्रदर्शनों को कंट्रोल करने के लिए कुछ भी नहीं किया है.
लखनऊ में धरना स्थल के लिए रमाबाई पार्क को चिन्हित किया गया है लेकिन प्रदर्शनकारी शहर के बीचोबीच ही प्रदर्शन करते हैं. न्यायालय ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक को प्रतिवादी बनाने का आदेश देते हुए इन सभी से 10 अप्रैल को जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी.
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