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सरकारी स्कूलों के बच्चों को परीक्षाफल का इंतजार

समस्तीपुर : जिले के सरकारी विद्यालयों के बच्चे परीक्षाफल के इंतजार में हैं. परीक्षा समाप्ति के बाद कॉपियों का मूल्यांकन संबंधित संकुलों में हो चुका है. परीक्षाफल भी लगभग बनकर तैयार है. ऐसे में बच्चों को परीक्षाफल का इंतजार है. ताकि वे अगली कक्षा में जा सके. नये शैक्षणिक सत्र का आगाज हुए तीन दिन […]

समस्तीपुर : जिले के सरकारी विद्यालयों के बच्चे परीक्षाफल के इंतजार में हैं. परीक्षा समाप्ति के बाद कॉपियों का मूल्यांकन संबंधित संकुलों में हो चुका है. परीक्षाफल भी लगभग बनकर तैयार है. ऐसे में बच्चों को परीक्षाफल का इंतजार है. ताकि वे अगली कक्षा में जा सके. नये शैक्षणिक सत्र का आगाज हुए तीन दिन बीत गया है. लेकिन, अभी तक परीक्षाफल का प्रकाशन नहीं हुआ है. कई बच्चों को दूसरी जगह जाकर अपनी पढ़ाई शुरू करनी है. ऐसे में परीक्षाफल के प्रकाशन में देरी होने से बच्चों में थोड़ी निराशा जरूर हो रही है.

वैसे, बच्चों को परीक्षाफल प्रकाशन के बाद भी परेशानी से जूझना होगा. क्योंकि,अधिकांश स्कूलों के पास स्थानांतरण प्रमाण पत्र का अभाव है. स्थानीय स्कूलों में नामांकन कराने वाले बच्चों का नामांकन प्रधानाध्यापक के शपथ पत्र के आधार पर हो जायेगा. जिले के बाहर या फिर दूसरे जिले में अपना नाम दर्ज करवाने वाले बच्चों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ेगी. पिछले साल भी अधिकांश प्राथमिक विद्यालय के बच्चों का नामांकन स्थानीय मध्य विद्यालयों में शपथ पत्र के आधार पर ही हुआ था.

जिन बच्चों को नामांकन बाहर करवाना था, उन्हें काफी पापड़ बेलना पड़ा था. जिला कार्यालय से विद्यालय स्थानांतरण प्रमाण-पत्र दो-चार दिनों में प्राप्त होने की संभावना है.

न बाजार में आयी है किताब और खाते में आयी है राशि. जिले के प्रारंभिक स्कूलों में बिना पुस्तक के करीब सात लाख बच्चों की नये सत्र की पढ़ाई शुरू हो गयी है. बहरहाल इन नये छात्र-छात्राओं के पास नयी कक्षाओं की पुस्तकें भी उपलब्ध नहीं हैं. स्कूल में शिक्षक कुछ पुरानी जमा हुई पुस्तकों से जुगाड़ टेक्नोलॉजी के माध्यम से पढ़ाई के जुगत में लगे हैं. सर्वशिक्षा अभियान कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अभी विभिन्न प्रखंडों से बच्चों की सूची खाता संख्या के साथ वर्ग बार मांगी गयी है. इसे आवश्यक कार्यवाही के लिए मुख्यालय को भेजी जा सके. समय पर बच्चों को पुस्तक उपलब्ध कराने में विफल रही राज्य सरकार ने इस बार आरटीजीएस के माध्यम से विद्यार्थियों के खाते में पुस्तक की राशि देने का फैसला लिया है. इस पर केंद्र सरकार की भी सहमति मिल गयी है. लेकिन, नया सत्र चालू हो जाने के बाद की स्थिति यह है कि न बाजार में आयी है किताब और खाते में आयी है राशि. ऐसे में जिले के प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षा दरकती नजर आ रही है. अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है. वे अपने बच्चों के भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं.

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