नयी दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी ने पीएनबी ऋण धोखाधड़ी को लेकर आरबीआई को भी जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि जाहिरा तौर पर लगता है कि घोटाले के दौरान केंद्रीय बैंक ने कोई ऑडिट नहीं की. चौधरी ने बैंकिंग क्षेत्र में ऑडिट प्रणाली को और अधिक मजबूत किये जाने पर बल दिया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जिम्मेदारी के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (आरबीआई ने) यह काम (ऑडिट) नहीं किया.’
सीवीसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कामकाज पर नजर रखता है. पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी की जांच सीबीआई कर रही है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का काम बैंकों का विनियमन करना है. लेकिन ईमानदारी में किसी तरह की कोताही पर केंद्रीय सतर्कता आयोग गौर करेगा.
चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक के अनुसार उसने नियमित ऑडिट की जगह ‘जोखिम आधारित’ ऑडिट व्यवस्था को अपनाया है. यह तब किया जाता है जब वित्तीय जोखिम शामिल हो. उन्होंने कहा, ‘जोखिम निर्धारित करने के लिये उनके पास कुछ मानदंड होने चाहिए. उसके आधार पर वे ऑडिट करते हैं. लेकिन ऐसा जान पड़ता है कि उस दौरान आरबीआई ने कोई ऑडिट नहीं किया.’
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने धोखाधड़ी का पता लगाने में विफल रहने को लेकर नियामकों की आलोचना करते हुए फरवरी में कहा था कि राजनेताओं के विपरीत भारतीय प्रणाली में नियामकों की कोई जवाबदेही नहीं है. चौधरी ने कहा कि एक नियामक के रूप में आरबीआई सामान्य दिशा-निर्देश जारी करता है और वह भी तब जब विदेशी मुद्रा शामिल हो.
उन्होंने कहा, ‘वे एक शाखा से दूसरी शाखा तथा एक बैंक से दूसरे बैंकों में नहीं जाते, जबकि उनसे इस काम की अपेक्षा है.’ चौधरी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से बैंकों की है कि कामकाज उपयुक्त तरीके और बेहतर रूप से हो. उन्होंने कहा कि जब कुछ गलत होता है, कोई हर किसी पर आरोप नहीं लगा सकता. कुछ प्रणालीगत मुद्दे हैं. उन्होंने (रिजर्व बैंक ने) फैसला किया है कि वह हर साल, एक साल में दो बार या दो, तीन या चार साल में एक ऑडिट कर सकता है जो जोखिम आधारित ऑडिट होगी.’
चौधरी ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘यह अच्छी नीति है. लेकिन कैसे वे जोखिम को मापने के लिए मानदंड क्या रखते हैं? आखिर यह धोखाधड़ी सामने क्यों नहीं आयी? इस पर विस्तार से गौर करने की जरूरत है.’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल पीएनबी नहीं है जहां यह धोखाधाड़ी हुई और दूसरे बैंक100 प्रतिशत सही हैं.‘ लेकिन हम केवल उम्मीद ही कर सकते हैं कि दूसरे बैंकों में बेहतर प्रणाली है और वे व्यवस्था का पालन कर रहे हैं.’
धोखाधड़ी रोकने में बैंकों की भूमिका पर चौधरी ने कहा कि जब गहराई से निर्णय लेने की प्रक्रिया की बात आती है, इसकी कोई समयसीमा नहीं रखी जाती. उन्होंने कहा, ‘समयसीमा स्पष्ट होनी चाहिए. सतर्कता व्यवस्था मजबूत की जानी चाहिए. दिशानिर्देशों तथा परिचालन प्रक्रियाओं को मजबूत किया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसका अनुकरण हो.’
पीएनबी घोटाले में जांच के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मामले में सीवीसी जो भी कर रहा है, उसे इस समय नहीं बताया जा सकता है. इस मामले में प्रगति हो रही है. चौधरी ने कहा, ‘कई मुद्दे हैं जो सीवीसी जांच कर रहा है. इसमें पीएनबी तथा आरबीआई से जुड़े मामले शामिल हैं.’ सीबीआई समेत कई एजेंसियां नीरव मोदी और गीतांजलि जेम्स के प्रवर्तक मेहुल चौकसी द्वारा पीएनबी के साथ की गयी 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जांच कर रही हैं.
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