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21 बैंकों का 76.72 करोड़ रुपये मार्केट में फंसा

देवघर : पूरे देश में बैंक खातों का तेजी से बढ़ता एनपीए (नन परफॉर्मिंग एसेट), देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के साथ-साथ बैंकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. देवघर में 21 बैंकों का 9447 बैंक खाता एनपीए हो चुका है, जिनका 76.72 करोड़ रुपये मार्केट में फंसा हुआ है. ऋण नहीं चुकाने वाले […]

देवघर : पूरे देश में बैंक खातों का तेजी से बढ़ता एनपीए (नन परफॉर्मिंग एसेट), देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के साथ-साथ बैंकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. देवघर में 21 बैंकों का 9447 बैंक खाता एनपीए हो चुका है, जिनका 76.72 करोड़ रुपये मार्केट में फंसा हुआ है. ऋण नहीं चुकाने वाले इन 9,447 ऋण धारकों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज हो चुका है. देवघर में वित्तीय वर्ष 2017-18 की रिपाेर्ट के अनुसार एनपीए खाते के 76.72 करोड़ रूपये की वूसली के लिए बैंक प्रबंधन द्वारा कई बार संबंधित ऋणधारकों को नोटिस भी दिया जा चुका था, लेकिन इन लोगों ने ऋण चुकाने में रुचि नहीं दिखायी.

21 बैंकों में सरकारी बैंक शामिल है. एनपीए को साधारण तरीके से हम यह समझ सकते हैं कि अगर बैंक से कोई बड़ा लोन लेता है और किसी भी कारण से उसे वसूल पाने में अक्षम होता है, तो यह एनपीए की श्रेणी में आ जाता है. इसे खराब लोन भी कह सकते हैं, क्योंकि उन्हें रिकवर करने की संभावना बेहद कम होती है. इसलिए ऐसे लोन जिनके डिफाॅल्ट होने की अधिक संभावना रहती है.

पैसा नहीं लौटने वालों में कॉरपोरेट्स व सरकारी योजना वाले अधिक : बैंकों का पैसा नहीं लौटानेवालों में कॉरपोरेट्स व सरकार की अनुदान वाली योजनाओं का लाभ लेने वालों की संख्या अधिक है.
21 बैंकों का 76.72 करोड़…
इसमें कॉरपोरेट्स की संख्या सरकारी योजना व कृषि क्षेत्र के मुकाबले अधिक है. जिन 21 बैंकों का पैसा एनपीए में अधिक मार्केट में फंसा है, उसमें इलाहाबाद बैंक सबसे आगे हैं. इलाहाबाद बैंक का 26.54 करोड़ रुपये एनपीए हुआ है, जबकि सिंडिकेट बैंक का सर्वाधिक 2937 बैंक खाता एनपीए हुआ है. अब बैंक सर्टिफिकेट केस के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया अपनाकर ऋण वसूली की तैयारी में है.
लोक अदालत के जरिये ब्याज माफी का मौका : सर्टिफिकेट केस जरिये ऋणधारकों को लोक अदालत में समझौते जरिये बड़ी राहत देने का प्रावधान है. लोक अदालत के जरिये बैंकों का ऋणधारकों के साथ शर्त के अनुसार ब्याज माफी व वसूली करने का अवसर दिया जाता है. प्रत्येक माह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में लोक अदालत लगायी जाती है, इसमें कई ऋण धारकों को किस्तों में भुगतान का भी अवसर दिया जाता है.
सर्टिफिकेट केस दर्ज
कानूनी प्रक्रिया अपनाकर ऋण वसूली में जुटी बैंक
सबसे अधिक इलाहाबाद बैंक के 26.54 करोड़ फंसे
सिंडिकेट बैंक का सर्वाधिक 2937 बैंक खाता एनपीए
जिन ऋण धारकों का खाता एनपीए हो चुका है, उन्हें लोक अदालत के जरिये समझौते के तहत मूल धन चुका देना चाहिए. लोक अदालत में लिये गये ऋण में ब्याज की राशि माफ करने का भी प्रावधान है. ऋण धारक ब्याज माफी का अवसर प्राप्त कर, बैंकों को ऋण की राशि चुकाते हुए अपने एनपीए खाते को ठीक करवा सकते हैं. साथ ही देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में अपना योगदान दे सकते हैं.
– आरएसके सिन्हा, एलडीएम, देवघर
बैंक खाता संख्या रकम
इलाहाबाद बैंक 1192 26.54 करोड़
आंध्रा बैंक 02 13.16 लाख
बैंक ऑफ बड़ोदा 2183 11.45 करोड़
बैंक ऑफ इंडिया 425 4.58 करोड़
केनरा बैंक 135 1.21 करोड़
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 21 लाख
कॉरपोरेशन बैंक 110 88 लाख
देना बैंक 120 50 लाख
काे-ऑपरेटिव बैंक 110 88 लाख
आइडीबीआइ बैंक 93 4.09 करोड़
इंडियन बैंक 154 54.59 लाख
इंडियन ओवरसीज बैंक 200 75 लाख
बैंक ऑफ महाराष्ट्रा 01 23 लाख
ओरिंयटल बैंक ऑफ कॉमर्स 08 37 लाख
पंजाब नेशनल बैंक 371 7.75 करोड़
एसबीआइ 727 8.87 करोड़
सिंडिकेट बैंक 2937 1.19 करोड़
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 01 2.73 लाख
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 574 5.84 करोड़
वनाचंल ग्रामीण बैंक 103 2.38 करोड़
विजया बैंक 01 5.08 लाख

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