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उपग्रह जीसैट-6 ए के साथ संपर्क टूटा, संपर्क स्थापित करने का प्रयास जारी : इसरो

नयी दिल्ली/बेंगलुरु : पिछले सप्ताह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये गये संचार उपग्रह जीसैट-6 ए के साथ संपर्क टूटागयाहै. इसकी पुष्टि भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो ने आजकी है. इसरो ने कहा है कि उपग्रह के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास जारी है. रविवार को सुबह ही सूत्रों के हवाले से यह खबर आ […]

नयी दिल्ली/बेंगलुरु : पिछले सप्ताह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये गये संचार उपग्रह जीसैट-6 ए के साथ संपर्क टूटागयाहै. इसकी पुष्टि भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो ने आजकी है. इसरो ने कहा है कि उपग्रह के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास जारी है. रविवार को सुबह ही सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही थी कि भारत के इस महत्वाकांक्षी उपग्रह के प्रक्षेपण के बाद आज कुछ तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं.

गौरतलब है कि इसरो उपग्रह की गतिविधियों को लेकर चुप्पी साधे हुए था. इसरो ने एक बयान में कहा है कि 31 मार्च की सुबह द्रव अपोगी मोटर( एलएएम) ने करीब 53 मिनट चल कर जीसैट-6 ए को दूसरी कक्षा तक सफलतापूर्वक पहुंचाया. अंतरिक्ष एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है, उपग्रह को एक अप्रैल को तीसरी और अंतिम बार इंजन की मदद से अपने अंतिम लक्ष्य पर पहुंचना था और फिर कक्षा में चक्कर लगाना था, लेकिन उससे हमारा संपर्क टूट गया. इसरो का कहना है, ‘‘ उपग्रह के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है.’ इसरो ने जीएसएलवी- एफ08 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही जीसैट-6 ए को उसकी कक्षा में स्थापित किया था. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह मोबाइल सिग्नल को सुदूर इलाकों में पहुंचाने में मदद करेगा.

उपग्रह के संबंध में इसरो की चुप्पी ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया था. सामान्य तौर पर इसरो उपग्रह के सभी स्तर की गतिविधियों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करता है.

इसरो ने इसका प्रक्षेपण 29 मार्च को शाम पांच बजे के करीब किया था. 30 मार्च को सुबह 9.22 बजे इस उपग्रह के संबंध में अपडेट मिला था. उपग्रह जब आज तीसरी और अंतिम कक्षा में प्रवेश के लिए प्रयास कर रहा था, उसी समय इससे संपर्क टूट गया.

आंध्रपद्रेश के श्रीहरिकोट से जीएसएटी – 6ए सेटेलाइट लांच किया गया था. इस उपग्रह को दस साल अंतरिक्ष में काम करना है जो 69 मीटर लंबा व 415.6 टन का है. यह उपग्रह मोबाइल कम्युनिकेशन और सेना में संचार साधन की उन्नत प्रणाली में मददगार होगा.

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