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शराबबंदी : छूटी शराब तो खुशहाल हुई जिंदगी

पटना : कल तक शराब का नशा था, आज खुशियां हैं. कल चत लड़ाई-झगड़े थे, आज हंसी के फव्वारे हैं. कल तक जिंदगी में बस ‘मैं ‘ था, आज समूचा परिवार है. जी हां, शराबबंदी ने न केवल लोगों को शराब मुक्त कर दिया है, बल्कि, कई परिवारों की खुशियां भी लौट आयी हैं. कल […]

पटना : कल तक शराब का नशा था, आज खुशियां हैं. कल चत लड़ाई-झगड़े थे, आज हंसी के फव्वारे हैं. कल तक जिंदगी में बस ‘मैं ‘ था, आज समूचा परिवार है. जी हां, शराबबंदी ने न केवल लोगों को शराब मुक्त कर दिया है, बल्कि, कई परिवारों की खुशियां भी लौट आयी हैं. कल तक जिनके जीवन में शराब और उसकी तन्हाइयां थीं, गुमनामियों की जिदंगी थी, आज समूचे परिवार में खुशियां हैं.

क्योंकि, आज शराब मुक्त बिहार है. पांच अप्रैल को सूबे में पूर्ण शराबबंदी के दो साल पूरे हो जायेंगे. इन दो सालों के दरम्यान केवल तारीख और महीने ही नहीं बदले, बल्कि कई जिंदगियां भी बदल चुकी हैं. इसके साथ बदला है पूरा प्रदेश. शराबबंदी के फैसले का दो साल में किस कदर असर हुआ है, इसका अंदाजा कुर्जी निवासी अजय की कहानी को पढ़ कर लगा सकते हैं.

मोहल्ले के परिवार भी हैं खुश
अजय ने बताया कि जब तक शराब का नशा रहता था, तब तक इसके अलावा और कुछ सूझता ही नहीं था. लेकिन, जब से दारू का नशा दूर हुआ है, जिंदगी की मंजिल मिल गयी है. अब तो बस परिवार के लिए जीना है. वह बताते हैं
छूटी शराब, खुशहाल…
कि आज वे अकेले नहीं, उस मोहल्ले में करीब 20 से 25 परिवार सुखी हैं. क्योंकि, मोहल्ले में शराब की दुकान चलने से पूरा मोहल्ला प्रभावित था. नंदू राय के परिवार के कई सदस्यों की मृत्यु शराब से हो गयी है. पर आज नंदू का परिवार भी खुश हैं. सभी घरों की बेटियां स्कूल जा रही हैं. बच्चे भी पढ़ाई कर रहे हैं. क्योंकि, अब परिवार में न तो मारपीट है न ही पैसे की कमी. कमाई का पूरा हिस्सा परिवार चलाने में जाता है. परिवार की खुशियां लौट आयी हैं.
जूस कॉर्नर चला कर बदली परिवार की जिंदगी
कुर्जी मोड़ निवासी अजय यादव करीब 38 साल के हैं. करीब छह साल पहले उन्हें शराब की लत लग गयी. शराब का नशा इस तरह सर चढ़ कर बोलने लगा कि कमाई का आधा हिस्सा उसी में जाने लगा. ऐसे में घर की आर्थिक हालत ऐसी हो गयी कि घर में खाने-पीने तक के लाले पड़ने लगे. पत्नी अलग परेशान रहने लगी और फिर पांच बच्चों को पालना भी मुश्किल हो गया. घर में रोज लड़ाई-झगड़े और किच-किच होने लगे. लेकिन, जब से पूर्ण शराबबंदी हुई और अजय की पहुंच से शराब दूर हुई,
वे न केवल एक जिम्मेवार पति और पिता की तरह पेश आने लगे. बल्कि अब एक सफल जूस कॉर्नर चला कर अपने परिवार का बेहतर भरण-पोषण भी कर रहे हैं. कमाई का पूरा हिस्सा घर पर ही खर्च करते हैं. पत्नी कांति देवी भी पति की तारीफ करती है और सरकार का धन्यवाद करती है कि इस प्रकार का कदम उठा कर उसने उसके परिवार को नयी जिंदगी प्रदान की है.

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