नयी दिल्ली : इराक के मोसुल में आईएसआईएस के हाथों मारे गये 39 भारतीयों के शवों के अवशेषों को भारत लाने के लिए एक अप्रैल को केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह भारतीय वायुसेना के विमान सी-17 ग्लोबमास्टर से बगदाद जायेंगे.
गौरतलब है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 20 मार्च को राज्यसभा में यह जानकारी दी थी कि इराक के मोसुल शहर में जिन 39 भारतीयों को बंधक बनाया गया था, उनकी मौत हो चुकी है. साल 2014 में आईएसआईएस ने इराक के शहर मोसुल में 40 भारतीयों को बंधक बना लिया था. इनमें से एक भारतीय हरजीत मसीह किसी तरह उसकी चंगुल से भागने में सफल रहा था.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बगदाद में भारतीय दूतावास के अधिकारी इराकी अधिकारियों के संपर्क में हैं. जैसे ही इस मामले में हरी झंडी मिलेगी जनरल वीके सिंह दिल्ली से बगदाद के लिए रवाना हो जायेंगे. वायुसेना का विमान सी-17 ग्लोबमास्टर दिल्ली से उड़ान भरकर बगदाद पहुंचेगा और वहां से 39 भारतीयों के अवशेषों को अमृतसर लाया जायेगा. बाद में शव के अवशेषों को उनके परिवार को सौंपा जायेगा. इसके बाद पटना और कोलकाता में शवों के अवशेषों उनके परिजनों को सौंपे जायेंगे.
विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि 39 भारतीयों के अवशेषों को भारत लाने में आठ से 10 दिन तक का समय लग सकता है. उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में कई तरह के कानूनों का पालन भी करना होगा और इसमें कुछ समय लग सकता है. चार वर्ष पहले जब आईएसआईएस ने भारतीयों को बंधक बनाया था, तो वीके सिंह कई बार इराक गये थे. वीके सिंह के मुताबिक, सरकार ने इन भारतीयों का पता लगाने के हर संभव प्रयास किये थे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में बताया था कि इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी कि भारतीयों को कहां मारा गया था, लेकिन उनके अवशेष बदूश की पहाड़ी पर स्थित एक कब्र से बरामद हुए थे. बदूश, मोसुल के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक गांव है.
डीएनए टेस्ट के बाद इन भारतीयों की पहचान की पुष्टि हो सकी थी. इराक के फॉरेसिंक मेडिसिन डिपार्टमेंट की ओर से इन शवों को डीएनए टेस्ट किया गया था. यह विभाग इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आता है. विभाग के प्रमुख डॉक्टर जैदी अली अब्बास ने भारतीय मीडिया को फोन पर बताया कि ज्यादातर शवों के सिर में गोली लगने के निशान हैं. उन्होंने बताया कि जब उनके पास ये शव टेस्ट के लिए आये थे, तो कंकाल में तब्दील हो चुके थे. उनमें न तो कोई कोशिका थी और न ही कोई मांसपेशी बची थी. उन्होंने कहा कि फॉरेसिंक साइंस पर भरोसा करें तो ये सभी लोग एक वर्ष पहले ही मर चुके थे.