नयी दिल्ली : हर आदमी चाहता है कि उसकी कमाई बढ़े. लाखों कमाने वाले करोड़ों कमाने का सपना देखते हैं. करोड़ों कमाने वाले अरबों में कमाना चाहते हैं. बड़ी संख्या में लोग अपने सपने पूरे कर लेते हैं, लेकिन मार्च का महीना आते ही इनकी दूसरी चिंता बढ़ने लगती है. टैक्स बचाने की चिंता. आयकर के दायरे में आने वाला नौकरीपेशा हर शख्स मार्च में इस जुगत में लग जाता है कि कैसे कम से कम आयकर का भुगतान करना पड़े. खासकर मोटी रकम पर. ऐसे लोगों के लिए सरकार ने बड़ी राहत दी है. सरकार ने प्राइवेट सेक्टर के लिएटैक्सफ्री ग्रेच्यूटी की सीमा अब 20 लाख रुपये कर दी है. इसे अधिसूचित भी कर दिया गयाहै.
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ग्रेच्यूटी भुगतान कानून में बदलाव के बाद शुक्रवार को इससे जुड़ी अधिसूचना जारी की गयी. इस संशोधित कानून में सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह सेवानिवृत्ति लाभ की सीमा कार्यकारी आदेश के जरिये नियत कर सकती है. इस महीने संसद में पारित संशोधन विधेयक में सरकार को मातृत्व अवकाश की अवधि भी तय करने का अधिकार दिया गया है. इसके अनुसार, केंद्र सरकार ने महिला कर्मचारियों के मामले में मातृत्व अवकाश की अवधि 26 सप्ताह तय की है.
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिएटैक्स फ्री ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गयी है. श्रमिक संगठन इस बदलाव को ग्रेच्यूटी भुगतान कानून में शामिल करने की मांग करते रहे हैं. अब तक संगठित क्षेत्र में पांच या उससे अधिक साल तक काम करने के बाद कर्मचारी सेवानिवृत्ति या नौकरी छोड़ने के समय कर मुक्त 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्यूटी का हकदार होते थे.
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कानून में संशोधन के बाद वे 20 लाख रुपये तक कर मुक्त ग्रेच्यूटी के हकदार होंगे. यह कानून उन कर्मचारियों पर लागू होता है, जिन्होंने कम- से-कम पांच साल निरंतर सेवा किसी प्रतिष्ठान में दी हो, जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं.
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