आमदनी में भी आ गयी है बड़ी गिरावट
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बोट फंसने से लोगों के उत्साह में आ गयी है कमी
आमदनी में भी आ गयी है बड़ी गिरावट अभी से ही लोगों को सताने लगी है चिंता सहरसा : जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के संघर्षपूर्ण प्रयास के बाद बदसूरत से खूबसूरत बनी मत्स्यगंधा झील में पानी घट जाने के कारण यह अपने स्वरूप खोने की ओर अग्रसर दिख रही है. नौका विहार के लिए आने […]
अभी से ही लोगों को सताने लगी है चिंता
सहरसा : जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के संघर्षपूर्ण प्रयास के बाद बदसूरत से खूबसूरत बनी मत्स्यगंधा झील में पानी घट जाने के कारण यह अपने स्वरूप खोने की ओर अग्रसर दिख रही है. नौका विहार के लिए आने वाले लोग बिना नौका विहार का आनंद लिए लौटने को विवश हो रहे हैं. झील में मात्र एक से डेढ़ फीट पानी ही अब बचा है. जगह-जगह मिट्टी के टीले दिखाई पड़ रहे हैं. इतने कम पानी में नाव का परिचालन जहां मुश्किल हो रहा है, वहीं बीच-बीच में बने मिट्टी के टीले नौका विहार के आनंद में किरकिरा साबित हो रहे हैं. नौका विहार से जहां प्रतिदिन 10 हजार से अधिक की आमदनी थी. वह घटकर अब दो हजार के नीचे रह गयी है.
नौका विहार के लिए लोगों का आना कम नहीं हुआ है. लेकिन झील में फंसते नाव एवं पानी की कमी को लेकर लोग बिना नौका विहार के लौटने लगे हैं. मालूम हो कि मृतप्राय बनी मत्स्यगंधा झील को जिलाधिकारी श्री गुंजियाल के अथक प्रयास से साफ कराया गया. साफ कराने के बाद 8 चार सीट वाला पैडल बोट एवं छह दो सीट वाला छोटे पैडल बोट, दो शिकारा, एक मोटरबोट नौका विहार के आनंद के लिए झील में उतारा गया. स्थानीय लोगों सहित दूरदराज के लोग मत्स्यगंधा की इस खूबसूरती को निहारने के लिए आने लगे. जिससे लाखों की आमदनी होने लगी. लेकिन झील में पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण धीरे धीरे पुनः नौका विहार पर ग्रहण लगता दिख रहा है. जिलाधिकारी के अथक प्रयास से प्रारंभ हुआ यह झील पुनः पुराने स्वरूप में ना लौट जाय, इसको लेकर अभी से ही लोगों को चिंता सताने लगी है.
नौका विहार से हुई लाखों की आमदनी: मृतप्राय बने मत्स्यगंधा झील को जिलाधिकारी श्री गुंजियाल ने अपने अथक परिश्रम के बल पर बिना किसी सरकारी खर्च किये सौंदर्य प्रदान करते हुए लोगों को नौका विहार का लुत्फ उठाने का अवसर दिया. 27 अक्तूबर 20017 को झील के आनंद के लिए चार बड़े एवं दो छोटे पैडल बोट झील में डाले गये. लोगों की रुचि एवं नौका विहार के प्रति लोगों का आकर्षण देखते हुए जिलाधिकारी ने पुनः नवंबर में चार बड़े एवं चार छोटे पैडल बोट को झील में उतारा. लगभग पांच लाख 63 हजार की लागत से इन बोटों को झील में उतारा गया. सिर्फ 5 माह में ही आमदनी दोगुनी से अधिक हुई. लोगों के आकर्षण का केंद्र बना इस नौका विहार के लिए लोग काफी मात्रा में जुटने लगे एवं अपनी बारी का इंतजार करते भी देखे जाने लगे.
पानी के बिना अब रुक जायेगी नाव: अक्तूबर माह में जब नौका विहार के लिए झील में वोट उतारे गये थे. उस वक्त झील में लगभग 8 फीट तक पानी मौजूद था. मात्र पांच महीने में ही झील का पानी छह फीट तक कम हो चुका है. आगे पूरी भीषण गर्मी बाकी है. ऐसे में नावों का परिचालन बंद होना स्वाभाविक दिख रहा है. झील में पानी की व्यवस्था आवश्यक हो गयी है. जबकि थोड़े से प्रयास से नहर का पानी इस झील में लाया जा सकता है. जिला प्रशासन समय रहते अगर पुनः सजग होता है तो लोगों का आकर्षण का केंद्र बना मत्स्यगंधा झील अपने स्वरूप में बना रह सकता है. इसके साथ ही नौका विहार से लाखों की आमदनी बनी रह सकती है.
प्रवासी पक्षियों ने भी डाला डेरा: झील के हुए सौंदर्यीकरण से जहां आम लोगों को एक अच्छा पर्यटन स्थल मिला. वहीं प्रवासी पक्षियों ने भी यहां आना प्रारंभ कर दिया. प्रवासी पक्षियों ने भी पर्यटकों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया. लोगों की भीड़ झील की सुंदरता व प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए पहुंचने लगी.
अब निराश होकर लौटने लगे हैं लोग
मत्स्यगंधा झील में पानी काफी कम होने के कारण नौका विहार के लिए आने वाले लोग लौटने लगे हैं. इस बाबत पूछे जाने पर नौका विहार के लिए टिकट काटने वाले वीरेंद्र कुमार झा ने बताया कि झील में डेढ़ फीट से लेकर दो फीट तक ही पानी बचा है. बोट फंस जाने के कारण लोग परेशान हो जा रहे थे. जिससे लोगों में आक्रोश भी देखा गया. उन्होंने बताया कि नौका विहार के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ अन्य जिले के लोग भी पहुंचते हैं. लेकिन झील में पानी कम होने के कारण मन मसोसकर वापस लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि वोट के लिए कम से कम तीन फीट से अधिक पानी की आवश्यकता होती है. लेकिन पानी उससे भी कम है. कहीं कहीं पर टिला बन जाने से वोट को चलाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने बताया कि 10 हजार से अधिक प्रति दिन की आमदनी काफी घट चुकी है.
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चेन्नई में आयोजित पुलिस मीट में डिलोन ने किया राज्य का प्रतिनिधित्व
एक की हो चुकी है मौत
मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में बीते 18 मई 2015 को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगभग 27 लाख रुपये की लागत से निर्मित श्वान दस्ता भवन का उद्घाटन किया था. उद्घाटन के बाद चार प्रशिक्षित श्वान को सहरसा भेजा गया. जिसमें मयंक की मौत बीते वर्ष के सितंबर माह में सलखुआ थाना क्षेत्र के चिड़ैया ओपी में हुई एक हत्या मामले के अनुसंधान से वापस आने के बाद हृदयाघात से हो गयी थी. वहीं डिलोन जो एक्सप्लोसिव डिटेक्टर है को मुख्यालय के निर्देश पर फरवरी माह में चेन्नई में आयोजित ऑल इंडिया पुलिस मीट में राज्य के प्रतिनिधित्व के लिए भेजा गया था. प्रशिक्षक ने बताया कि चेन्नई से वापस आने के बाद उसे पटना में ही रखा गया है.
सुविधाओं से लैस है घर
पुलिस लाइन में बने श्वान भवन में कुत्ते व उनके प्रशिक्षक सहित पुलिस कर्मी के रहने के लिए कमरे की व्यवस्था है. इसके अलावा कर्मी व कुत्ते के भोजन के लिए बेहतरीन किचन व वाकिंग के लिए गार्डन की भी सुविधा है. उन कुत्तों के लिए भवन में बाथरूम, सीढ़ी व रैंप भी बनाये गये हैं.
प्रभारी का पद है रिक्त
श्वान दस्ता की देख रेख व उसे प्रशिक्षित करने के लिए प्रभारी के रूप में एक सब इंस्पेक्टर व तीन जवानों की तैनाती है. दो दिन पूर्व सब इंस्पेक्टर मो सफीरउद्दीन का तबादला सीआइडी में हो जाने के कारण पद रिक्त है. वहीं तीन प्रशिक्षित जवान मुजफ्फरपुर जिला बल के राकेश कुमार, पटना जिला बल के मुकेश कुमार, मुंगेर जिला बल के सिद्धार्थ शंकर तैनात हैं. वहीं एक सफाई कर्मी और एक रसोइया भी तैनात है.
सुबह दूध, शाम में मांस
प्रशिक्षक मुकेश कुमार ने बताया कि संवेदक के द्वारा भोजन की आपूर्ति की जाती है. उन्होंने बताया कि सुबह में आधा किलो दूध, दो रोटी एवं शाम में नौ सौ तीस ग्राम मांस व दो सौ तैंतीस ग्राम चावल दिया जाता है. वहीं दोपहर में पानी दिया जाता है.
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