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अब मुड़ायाम की पहचान फुटवियर पंचायत

दुमका : झारखंड के दुमका जिले की मुड़ायाम पंचायत देश की पहली फुटवियर पंचायत बनने जा रही है. जहां बड़े पैमाने पर जूते-चप्पल बनाने का काम केवल महिलाएं करेंगी. यह प्रयोग अपने आप में अनूठा होगा. इस पंचायत के बालीजोर गांव में चप्पल बनाने का काम सखी मंडल की सदस्य आजीविका के माध्यम से कर […]

दुमका : झारखंड के दुमका जिले की मुड़ायाम पंचायत देश की पहली फुटवियर पंचायत बनने जा रही है. जहां बड़े पैमाने पर जूते-चप्पल बनाने का काम केवल महिलाएं करेंगी. यह प्रयोग अपने आप में अनूठा होगा. इस पंचायत के बालीजोर गांव में चप्पल बनाने का काम सखी मंडल की सदस्य आजीविका के माध्यम से कर रही हैं.

अब यहां जूते भी बनेंगे, जो हाट-बाजार में तो उपलब्ध होगा ही, इसके निर्यात और बड़े पैमाने पर सरकारी शिक्षण संस्थानों में आपूर्ति सुनिश्चित कराने की भी पहल की जायेगी. इसके लिए इसमें 1000 महिलाओं को जोड़ा गया है. इन 1000 महिलाओं की सहभागिता से संबंधित कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को इंडोर स्टेडियम में किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीसी मुकेश कुमार ने कहा कि मुड़ायाम पंचायत को देश का पहला ऐसा पंचायत बनने का गौरव दिलाने का प्रयास हो रहा है. जिसमें इतनी बड़ी तादाद में महिलाएं जूते-चप्पल बनाने का काम करेंगी.
उन्होंने कहा कि आज बालीजोर की महिलाओं के द्वारा बनाया गया चप्पल हर कोई खरीद रहा है. यह सिर्फ चप्पल नहीं बल्कि महिला सशक्तीकरण की निशानी है. जो बहुत जल्द क्रांति का रूप लेने वाली है. उन्होंने महिलाओं के साथ-साथ इस प्रोजेक्ट में लगे हर शख्स से अपील की कि अभी हमें और मेहनत करनी है.
अब मुड़ायाम की पहचान
कहा कि एक सप्ताह के भीतर विधिवत रूप से जूते का निर्माण मुड़ायाम पंचायत भवन से शुरू किया जायेगा. यह मेहनत जरूर रंग लायेगी.
कस्तूरबा से मिला 3000 जूते-चप्पल का आॅर्डर : डीसी श्री कुमार ने बताया कि कस्तूरबा विद्यालय द्वारा तीन हजार चप्पल और जूतों की खरीद की जायेगी. कस्तूरबा देवघर की बच्चियां भी इस पंचायत द्वारा बनाये गये चप्पल और जूते को पहनेंगी. संबंधित विभाग के निदेशक एवं सचिव से भी अनुरोध किया जायेगा कि पूरे राज्य में स्कूली बच्चों के लिए जूते-चप्पल की खरीद यहां से हो.
एमएसएमआइ से अनुदान पर दिलायेंगे मशीन : डीसी ने कहा कि फुटवियर इंडस्ट्री के लिए आधारभूत संरचना के ऊपर अभी और कार्य किया जाना है. इसके लिए बृहत मशीन को अनुदान पर एमएसएमआइ के जरिये अनुदान पर उपलब्ध करने की पहल होगी. उन्होंने बताया कि सप्ताह भर के अंदर बाली फुटवियर के एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग को भी मंजूरी दे दी जायेगी. ताकि बेहतर ढंग से महिलाओं का यह समूह का कर सके ओर प्रबंधन भी कर सके.
एकता, साझापन व सहभागिता को टूटने न दें : डीसी ने कहा कि बालीजोर गांव को उन्होंने गोद लिया. महिलाओं ने उस गांव, उस पंचायत को नशामुक्त बनाने की पहल में साथ दिया. खुद स्वरोजगार से जुड़ी. आज 10 और गांव बालीजोर से प्रेरणा लेकर गोद लिये गये हैं. उन्हें भी बालीजोर की तरह ही स्मार्ट विलेज बनाया जायेगा. श्री कुमार ने कहा कि आर्थिक रुप से जब तक महिलाएं मजबूत नहीं होंगी. तब तक विकास की पहल सार्थक साबित नहीं होगी. उन्होंने गुलाबी रंग की पोशाक में बैठी बाली फुटवियर से जुड़ी महिलाओं को बताया कि यह पिंक आर्मी बदलाव का बड़ा रूप लेगी. मयुराक्षी सिल्क, बासुकि अगरबत्ती के माध्यम से भी अलग-अलग इलाके को पहचान दिलाने का प्रयास होगा. डीडीसी शशि रंजन ने दुमका जिला के लिए इसे गौरव का दिन बताया. कहा कि अब तक कानपुर, अागरा व हैदराबाद जैसे बड़े-बड़े शहरों में ही फुटवियर का निर्माण होता था. पहली बार गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं चप्पल बना रही हैं. उन्होंने डीसी मुकेश कुमार की सोच को आगे बढ़ाने की बात कही. प्रशिक्षु आइएएस विशाल सागर ने कहा कि दुमका की नहीं, झारखंड की पहचान भी अब बाली फुटवियर से होगी, वह दिन दूर नहीं है. पंचायत की मुखिया निर्मला मुर्मू ने कहा कि पहले हमारे पंचायत की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी, आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारा पंचायत नशा मुक्त हो गया है. प्रशासन के प्रयास से पूरी तस्वीर बदल चुकी है. महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ कर एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया गया है. उत्कृष्ट कार्य के लिए रानी मिस्त्री को किट देकर सम्मानित किया गया तथा स्वच्छता किट भी वितरित किया गया.
अनूठा प्रयोग. 1000 महिलाएं जूता-चप्पल बनाने के काम से जुड़कर महिला सशक्तीकरण का देंगी बढ़ावा

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