पटना : उर्दू शिक्षकों की बहाली की बाधाओं को दूर किया जायेगा. सूबे में करीब 27 हजार शिक्षकों की बहाली की योजना बनायी गयी है. लेकिन, अफसोस है कि अब तक मामला लंबित है. चिंता मत कीजिए, समाधान निकाला जायेगा. बिहार विधानमंडल की समाप्ति के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में संबंधित विषय के जानकार पांच-सात लोगों को लेकर आएं. शिक्षा मंत्री और प्रधान सचिव की उपस्थिति में मामले की पूरी रिपोर्ट लेकर समाधान निकाला जायेगा. उक्त बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी स्थित रवींद्र भवन में गुलाम सरवर की जयंती पर आयोजित उर्दू दिवस समारोह में कहीं. उन्होंने कहा कि हमारी इच्छा है कि उर्दू शिक्षकों की सिर्फ बहाली नहीं हो, बल्कि ऐसे उर्दू शिक्षक बहाल किये जाएं, जो अपने छात्रों को उर्दू पढ़ा-लिखा सकें और सीखा सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उर्दू दमदार भाषा है. सभी को उर्दू सीखनी चाहिए. कोई भी भाषा किसी संप्रदाय विशेष की नहीं हो सकती है. उर्दू हिंदुस्तान की भाषा है. हिंदी-उर्दू का संबंध एक-दूसरे के साथ होगा, तो दोनों भाषाएं समृद्ध होती चली जायेगी. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक छात्रों के प्रथम श्रेणी से पास करने पर दस हजार रुपये पुरस्कार देने की शुरुआत किये जाने के बाद से प्रथम श्रेणी से पास करनेवाले अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या 2200-2300 से बढ़ कर 25-26 हजार तक पहुंच गयी. इस साल से मदरसा पास करनेवालों को भी पुरस्कार मिलेगा. अल्पसंख्यक युवाओं को उद्यम सहायता के लिए निर्धारित वार्षिक बजट राशि भी 25 करोड़ से बढ़ा कर 100 करोड़ रुपये कर दी गयी है.
कार्यक्रम को राज्यसभा सांसद कहकशां प्रवीण, विधायक रामानुज प्रसाद, आजाद गांधी, अशरफ अस्थानवी, अकबर अली और प्रो सलाहउद्दीन ने भी संबोधित किया. इस मौके पर सिराज अनवर, सैयद वजीउद्दीन, सुरैया देवी, मो शाबान, नौशाद व डॉ लक्ष्मीकांत सजल मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित हुए.