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सिलीगुड़ी :जीवन में कभी नशा नहीं किया, इसलिए 107 की उम्र में भी कोई बीमारी नहीं, मजे से खाते हैं चिकन-मटन

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी से सटे ग्रामीण इलाका निवासी एक व्यक्ति ने 107 वर्ष को पार कर लिया है और वह अब भी पूरी तरह फिट हैं. इस उम्र में उनकी चुस्ती-फुर्ती देखकर इलाकावासी आश्चर्यचकित हैं. न्यू जलपाईगुड़ी थाना अंतर्गत फूलबाड़ी के गोठमाबाड़ी निवासी भीम सिंह राय अपने नाम को चरितार्थ कर रहे हैं. आधार कार्ड […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी से सटे ग्रामीण इलाका निवासी एक व्यक्ति ने 107 वर्ष को पार कर लिया है और वह अब भी पूरी तरह फिट हैं. इस उम्र में उनकी चुस्ती-फुर्ती देखकर इलाकावासी आश्चर्यचकित हैं. न्यू जलपाईगुड़ी थाना अंतर्गत फूलबाड़ी के गोठमाबाड़ी निवासी भीम सिंह राय अपने नाम को चरितार्थ कर रहे हैं. आधार कार्ड के मुताबिक वह 99 वर्ष के हैं, पर परिवार का कहना है कि सरकारी रिकॉर्ड में उनकी उम्र कम करके लिखी है.
इस उम्र में भी भीम सिंह राय की आवाज जरा भी नहीं लड़खड़ाती है. और न ही आंखों पर चश्मा चढ़ा है. बल्कि इस अवस्था में भी इनकी श्रवण शक्ति इतनी तेज है कि बड़ी आसानी ये मोबाइल फोन पर बात कर लेते हैं. दांत अब भी इतने मजबूत हैं कि चिकेन, मटन व मछली बड़े प्रेम से चबाते हैं.
आज के इस दौर में जब 60 वर्ष का आंकड़ा पार करने के बाद से हर महीने डॉक्टर का चक्कर लगाना पड़ता है. वहीं भीम सिंह राय किसी प्रकार की दवाई का सेवन नहीं करते हैं. उनके बचपन के कई मित्र भी करीब 20 वर्ष पहले गुजर चुके हैं, जबकि इस उम्र में भी भीम सिंह की फुर्ती युवकों को मात दे रही है.
परिवार से मिली जानकारी के अनुसार इन्हें कब डॉक्टर के पास ले जाया गया था वह याद तक नहीं है. भीम सिंह राय के दो पुत्र व एक पुत्री है. उनका एक बेटा फाकुर सिंह राय सिंचाई विभाग से अवकाशप्राप्त हैं.
फाकुर सिंह की उम्र 65 वर्ष की हो चली है. उनकी भी तीन बेटी व दो बेटा हैं. भीम सिंह का दूसरा बेटा आनंद सिंह का एक बेटा व एक बेटी है. भीम सिंह की बेटी तारामणि का भी दो बेटा व एक बेटी है. सभी का विवाह हो चुका है. भीम सिंह का आंगन नाती-पोतों से भरा है. भीम सिंह के सामने उनका बड़े बेटे फाकुर सिंह ही खुद को बूढ़ा महसूस करते हैं.
इस अवस्था में भी भीम सिंह किराना की एक दुकान चलाते हैं. ग्राहकों से भी बड़ी ही सरलता से बात करते हैं. रुपए-पैसे का हिसाब भी इनका पक्का है.
भीम सिंह ने बताया कि उनके पिता ने भी निरोग अवस्था में ही अंतिम सांस लिया था. वे भी अपना जीवन निरोग ही गुजारना चाहते हैं. अभी भी सुबह उठकर थोड़ी कसरत करना उनकी आदत है. नित्यकर्म के बाद पूजा-पाठ फिर नाश्ता समय पर करते हैं. रोजाना इनकी दुकान समय से खुलती है. दोपहर का भोजन, शाम का नाश्ता व रात्रि भोजन का समय निर्धारित है. पूरे जीवन में इन्होंने एक सुपारी का भी नशा नहीं किया.
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में हर खाद्य में मिलावट है. पहले खेती में जैविक खाद का प्रयोग करते थे अभी तो पूरी कृषि ही रासायनिक खादों पर निर्भर है. वे अभी भी खेती करते हैं. लाइन में खड़े होकर मतदान करते हैं. इस बार भी कतार में खड़े होकर पंचायत चुनाव में मतदान करेंगे.

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