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बीएड के छात्रों से नहीं लें एक लाख रुपये से अधिक फीस

अगस्त में तय हुई थी फीस, फिर भी नहीं मान रहे कॉलेज छात्रों पर 1.35 लाख रुपये जमा करने को बना रहे हैं दबाव मुजफ्फरपुर :बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने एफिलिएटेड बीएड कॉलेजों को सत्र 2015-17 के छात्रों से एक लाख रुपये से अधिक फीस न लेने के लिये पत्र भेजा है. विवि ने 22 अगस्त […]

अगस्त में तय हुई थी फीस, फिर भी नहीं मान रहे कॉलेज
छात्रों पर 1.35 लाख रुपये जमा करने को बना रहे हैं दबाव
मुजफ्फरपुर :बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने एफिलिएटेड बीएड कॉलेजों को सत्र 2015-17 के छात्रों से एक लाख रुपये से अधिक फीस न लेने के लिये पत्र भेजा है. विवि ने 22 अगस्त 2017 को ही सरकार के निर्देश पर फीस निर्धारित करते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. इसके बाद भी परीक्षा फॉर्म भरने से पहले कई कॉलेज छात्रों पर 1.35 लाख रुपये जमा कराने के लिए दबाव बना रहे हैं.
पिछले दिनों छात्रों ने इसको लेकर विश्वविद्यालय में हंगामा भी किया था. यहां तक कि विवि से कमिश्नर कार्यालय तक पैदल मार्च किया व कमिश्नर से मिलकर अधिक वसूली की शिकायत की. इसको लेकर तिरहुत प्रमंडल के कमिश्नर ने विवि के कुलपति डॉ अमरेंद्र नारायण यादव से बात करके निर्धारित फीस लेकर ही परीक्षा फॉर्म भरवाने को कहा. विवि के कुलसचिव डाॅ अजय कुमार श्रीवास्तव की ओर से सभी कॉलेजों को पत्र भेजा गया है. कहा है कि कॉलेज प्रबंधन छात्रों से अधिक फीस की डिमांड कर रहा है, जो सही नहीं है.
31 तक परीक्षा फॉर्म भरने का समय: विवि ने पहले बीएड सेकेंड इयर का परीक्षा फॉर्म भरने के लिये 21 मार्च तक का समय दिया था. हालांकि, अधिक फीस के विवाद में अधिकतर कॉलेजों में छात्रों का फॉर्म नहीं भरा जा सका. इसलिए 31 मार्च तक फॉर्म भरने का समय बढ़ा दिया गया. एक से पांच अप्रैल तक विलंब शुल्क के साथ फॉर्म भरा जा सकता है.
पुराने आदेश का हवाला दे रहे कॉलेज प्रबंधन: बीएड कॉलेज प्रबंधन विवि के पुराने आदेश का हवाला देकर 1.35 लाख रुपये फीस लेने के लिये दबाव बना रहे हैं. पिछले साल जब सरकार व विश्वविद्यालय ने एक लाख रुपये फीस निर्धारित किया, तब कॉलेज प्रबंधन ने कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने सरकार को नये सिरे से फीस निर्धारित करने के लिये सरकार को आदेश दिया, लेकिन यह भी कहा कि जो फीस तय होगा वह नये सत्र के लिये होगा. यानि सत्र 2015-17 के छात्रों पर लागू नहीं होगा.
छात्र अंडरटेकिंग देने को भी है तैयार: बीएड के छात्र परीक्षा फॉर्म भरने से पहले अंडरटेकिंग देने को भी तैयार हैं. उनका कहना है कि यदि सरकार का आदेश उनके लिए अधिक फीस जमा कराने का आया, तो फीस देने को तैयार हैं. यह लिखकर वे पहले भी दे चुके हैं. विवि के अधिकारियों का कहना है कि कॉलेज को परीक्षा के बाद अंकपत्र व सीएलसी आदि देना है. ऐसे में यदि सरकार का निर्णय उनके पक्ष में आ गया, तो वे अधिक फीस की वसूली कर सकते हैं. लेकिन, अभी छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित नहीं कर सकते.
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में अनियमितता को लेकर हुई शिकायतों पर निगरानी विभाग की जांच अभी पूरी नहीं हुई है. जांच टीम ने विवि से दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के पूर्व डायरेक्टर डॉ रामचंद्र प्रसाद सिंह की नियुक्ति के संबंध में जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब विवि से भेज दिया गया है.
निगरानी के अधिकारियों का कहना है कि अभी विवि ने जो रिकॉर्ड व जवाब भेजे हैं, उसे शॉर्ट लिस्टेड किया जा रहा है. अन्य कई मामलों में जल्द ही पत्र भेजकर जवाब मांगा जायेगा. पूर्व डायरेक्टर डॉ रामचंद्र प्रसाद सिंह ने डीडीइ में अवैध बहाली को लेकर पिछले साल नवंबर में हुए बवाल के बाद त्यागपत्र दे दिया था. दरअसल, कोर्सों की मान्यता के लिए यूजीसी को भेजे आवेदन में निदेशालय की ओर से 15 लोगों का अतिरिक्त नाम जोड़ दिया गया था.
इसको लेकर तीन हफ्ते से अधिक समय तक छात्रों ने विश्वविद्यालय का काम बंद करा दिया था. इधर, विवि में चल रही अनियमितता के संबंध में राजभवन को भेजी गयी शिकायत में डॉ रामचंद्र प्रसाद सिंह की नियुक्ति का जिक्र भी किया गया था, जिस पर निगरानी ने जवाब मांगा था. निगरानी विभाग को विवि की ओर से भेजे गये जवाब में बताया गया है कि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के लिये विश्वविद्यालय स्तर पर एडवाइजरी कमेटी होती है, जिसके अध्यक्ष कुलपति हैं.
निदेशक की नियुक्ति तदर्थ रूप से कुलपति के द्वारा की जाती है. स्थायी नियुक्ति डायरेक्टरेट ऑफ डिस्टेंस एजुकेशन, दिल्ली से की जाती है. कुलपति ने डॉ सिंह की नियुक्ति स्टॉप गैप अरेंजमेंट के तहत की थी, उन्होंने त्यागपत्र दे दिया है. इसके बाद डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव की नियुक्ति तदर्थ रूप से की गयी है.

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