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भूषण स्टील के लिए करना होगा 59 हजार करोड़ निवेश

टाटा स्टील. इलेक्ट्रो व एस्सार स्टील अधिग्रहण को ले कई चुनौतियां जमशेदपुर : कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भूषण स्टील आने वाले दिनों में टाटा स्टील कंपनी के नाम हो जायेगी. हालांकि, भूषण स्टील व भूषण पावर को खरीदने के लिए टाटा स्टील को 59,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे. कंपनी पर […]

टाटा स्टील. इलेक्ट्रो व एस्सार स्टील अधिग्रहण को ले कई चुनौतियां
जमशेदपुर : कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भूषण स्टील आने वाले दिनों में टाटा स्टील कंपनी के नाम हो जायेगी. हालांकि, भूषण स्टील व भूषण पावर को खरीदने के लिए टाटा स्टील को 59,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.
कंपनी पर वर्तमान में करीब 76,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो इन सौदों की वजह से 1.3 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है. टाटा स्टील ने भूषण स्टील के कर्जदारों को 17 हजार करोड़ और ऑपरेशन के लिए 7,200 करोड़ रुपए देने का ऑफर दिया है.
इलेक्ट्रो व एस्सार स्टील को लेकर टाटा स्टील की प्रक्रिया धीमी : दूसरी ओर, टाटा स्टील इलेक्ट्रोस्टील, और एस्सार स्टील को लेकर थोड़ी धीमी गति से चल रही है. टाटा ग्रुप एस्सार स्टील की बोली लगाकर कर्ज को और बढ़ाने नहीं चाहेगा. वैसे जानकारों का यह भी मानना है कि करीब 45 से 50 हजार करोड़ रुपये एस्सार स्टील के लिए लगाना होगा, जो घाटे का सौदा हो सकता है. इसके लिए वेदांता समूह ने भी बोली लगायी है.
बोकारो के चंदनकियारी में है इलेक्ट्रो स्टील प्लांट : झारखंड राज्य बनने के बाद पहला स्टील प्लांट इलेक्ट्रोस्टील का ही लगा था. यह बोकारो जिले के चंदनकियारी में है. इलेक्ट्रोस्टील की आधारशिला वर्ष 2008 में रखी गयी थी. 2012 से कंपनी 1.51 मिलियन टन स्टील का उत्पादन प्रति वर्ष कर रही है. यहां टीएमटी बार, वायर रॉड, पिग आयरन, डीअाइ पाइप व बिलेट्स का उत्पादन होता है. कंपनी में इस समय करीब नौ हजार मजदूर काम कर रहे हैं.
टाटा या वेदांता की होगी इलेक्ट्रो स्टील
इलेक्ट्रोस्टील को लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के साथ कमेटी ऑफ क्रेडिटर की हुई बैठक में 17 अप्रैल की समय सीमा निर्धारित की जा चुकी है. मार्च माह के अंत तक नीलामी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद इलेक्ट्रो स्टील कंपनी टाटा या वेदांता में से किसी एक की हो जाएगी.
वेदांता रिसोर्सेस ने सबसे अधिक 4500 करोड़ जबकि टाटा स्टील ने 3500 करोड़ की बोली लगायी है. इसके अलावा रेनेसां ग्रुप और इडलवाइज के सपोर्ट वाले एक विदेशी फंड ने भी बोली लगायी है. वैसे वहां के मजदूर भी चाहते हैं कि टाटा स्टील ही इसका टेकओवर कर ले.
सूत्रों के अुनसार वेदांता और टाटा ने कंपनी को नीलामी में लोन के लिए ऑल-कैश ऑफर के तहत यह ऑफर दिया है. अब जो भी कंपनी ऊंची बोली लगायेगी उसके पास कंपनी का मालिकाना हक होगा. लगभग 14 हजार करोड़ का डिफॉल्टर होने के बाद बैंकों की कमेटी पीडब्ल्यूएचसी ने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी. इसके बाद यह प्लांट पीडब्ल्यूएचसी के अंडर में चल रहा है. पीडब्ल्यूएचसी में इसकी नीलामी की प्रक्रिया चला रही है.

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