माल एवं सेवा कर (GST) को बेहतर बनाने की कोशिश में लगीनरेंद्र मोदी सरकार को एक और झटकालगा है.
जीएसटी को लेकर वैश्विक वित्तीय संस्था विश्व बैंक ने गंभीर सवाल उठाते हुए इसे काफी जटिल बताया है. विश्व बैंक ने हाल ही में जारी की गयी एक रिपोर्ट में जीएसटी के बारे में बताया है कि भारत में लागूयह टैक्स स्लैब 115 देशों में दूसरा सबसे ज्यादा है.
विश्व बैंक की रिपोर्ट में उन देशों के टैक्स रेट और स्लैब की तुलना की गयी है, जहां जीएसटी लागू है. इस रिपोर्ट में कुल 115 ऐसे देश शामिल किये गये हैं. बताते चलें कि मोदी सरकार ने पिछले साल 1 जुलाई से जीएसटी लागू किया था. भारत में लागू जीएसटी में 5 टैक्स स्लैब हैं. इसमें 0%, 5%, 12%, 18% और 28% है.
पेट्रोल और डीजल समेत कई उत्पादों को फिलहाल जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. वहीं, सोने पर 3% का टैक्स रेट लगता है. जिन चीजों को जीएसटी के बाहर रखा गया है, उन पर पहले की कर व्यवस्था के हिसाब से ही टैक्स लगता है.
रिपोर्ट कहती है कि भारत में जहां 5 टैक्स स्लैब हैं, वहीं दुनियाभर के 49 देशों में एक ही जीएसटी रेट है. रिपोर्ट के मुताबिक, 28 देशों में 2 टैक्स स्लैब इस्तेमाल किये जाते हैं.
वहीं, भारत समेत 5 ऐसे देश हैं, जहां 4 टैक्स स्लैब प्रभावी हैं. 4 और इससे ज्यादा जीएसटी टैक्स स्लैब लागू करने वाले देशों में इटली, लग्जमबर्ग, पाकिस्तान और घाना है.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएसटी लागू होने के शुरुआती दिनों में काफी दिक्कतें पेश आयी थीं. विश्व बैंक ने जीएसटी के बाद रिफंड की रफ्तार धीमी होने को लेकर भी चिंता जतायी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिफंड फंसने से इसका सीधा असर कारोबारियों की पूंजी पर पड़ता है. इससे उनका कारोबार प्रभावित होता है.
विश्व बैंक का कहना है कि स्थानीय करें खत्म करने को लेकर स्पष्टता का अभाव है. मसलन, तमिलनाडु सरकार ने स्थानीय प्रशासनों पर जीएसटी की 28% ऊंची स्लैब दर से भी अधिक मनोरंजन कर थोप दिया है.
राजस्व संग्रहण जारी रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने भी जीएसटी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मोटर वाहन कर बढ़ा दिया है.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को लागू करने के लिए किये गये खर्च पर भी सवाल उठाया है. वैश्विक वित्तीय संस्था ने अपनी रिपोर्ट में भविष्य में इसमें जरूरी बदलाव करने का सुझाव दिया है और उम्मीद जतायी है कि भविष्य में इसमें सकारात्मक बदलाव होंगे.
रिपोर्ट में टैक्स स्लैब की संख्या कम करने और जीएसटी प्रक्रिया को आसान बनाने का सुझाव दिया गया है.
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