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Health : तकनीक में उलझे रहने व शिफ्टों में काम करने से कम हो रही भारतीयों की नींद

नयी दिल्ली : अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ के लिए जरूरी है, लेकिन एक ताजा सर्वे के अनुसार देर रात तक मोबाइल फोन या लैपटॉप से चिपके रहने की आदत या शिफ्टों में काम करने की मजबूरी के चलते भारत में लोगों की नींद लगातार कम हो रही है. फिलिप्स द्वारा किये गये बेटर स्लीप बेटर […]

नयी दिल्ली : अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ के लिए जरूरी है, लेकिन एक ताजा सर्वे के अनुसार देर रात तक मोबाइल फोन या लैपटॉप से चिपके रहने की आदत या शिफ्टों में काम करने की मजबूरी के चलते भारत में लोगों की नींद लगातार कम हो रही है. फिलिप्स द्वारा किये गये बेटर स्लीप बेटर हेल्थ शीर्षक एक सर्वे के अनुसार एक वैश्विक सर्वेक्षण की मानें तो 32 प्रतिशत भारतीय व्यस्कों की नींद कम होने की प्रमुख वजह तकनीक से होने वाला व्यवधान है.

वहीं 19 फीसदी को लगता है कि सोने के आम समय के दौरान कार्यालयों में काम करना भी उनकी नींद का दुश्मन बन गया है. उल्लेखनीय है कि अब 24 घंटे काम करने का चलन है जिससे लोग सोने का जो आम समय है उस दौरान वह पालियों में काम करते हैं, इससे उनकी नींद लगातार कम हो रही है. इसे ‘शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर’ कहते हैं.

सर्वेक्षण में सामने आया है कि 45 फीसदी भारतीय अच्छी नींद के लिए ध्यान लगाते हैं वहीं 24 फीसदी लोग सोने के विशेष तरीके इस्तेमाल करते हैं. हालांकि दुनियाभर में सोने में व्यवधान को लेकर जागरुकता बढ़ रही है, लेकिन सर्वेक्षण के मुताबिक भारतीय इसे लेकर जरा भी सजग नहीं है और यह उनकी प्राथमिकता में भी नहीं है.

सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘भारतीयों का मानना है कि तकनीक उनकी नींद में खलल का मुख्य स्रोत बन गयी है. वे गहरी नींद की जगह व्यायाम को तरजीह देते हैं.’ सर्वेक्षण में शामिल हुए लोगों के उत्तर के हिसाब से दुनियाभर में अनिद्रा से प्रभावित लोगों की संख्या 26 फीसदी है, जबकि 21 फीसदी लोग खर्राटों की वजह से जागते रहते हैं.

58 फीसदी लोगों को चिंता की वजह से भी अच्छी नींद नहीं आती है. वहीं 26 फीसदी लोगों की नींद की दुश्मन तकनीक है. इस सर्वेक्षण में 13 देशों के 15,000 वयस्कों ने भाग लिया. इसके मुताबिक 77 फीसदी लोगों ने अपनी नींद बेहतर बनाने के प्रयास किये हैं. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस, भारत और चीन शामिल हैं.

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