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सांसद महेश पोद्दार ने पूछा प्रभात की मौत का जिम्मेदार कौन ? या तो हमारा रास्ता गलत है या तरीका

रांची : राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. इस मंच का इस्तेमाल वह खुले तौर पर अपने विचार रखने के लिए करते हैं. अरगोड़ा चौक पर करंट लगने से हुई मौत पर भी उन्होंने सवाल खड़ा किया है. उन्होंने ट्वीट कर बिजली बोर्ड से पूछा है कि इस घटना का जिम्मेदार […]

रांची : राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. इस मंच का इस्तेमाल वह खुले तौर पर अपने विचार रखने के लिए करते हैं. अरगोड़ा चौक पर करंट लगने से हुई मौत पर भी उन्होंने सवाल खड़ा किया है. उन्होंने ट्वीट कर बिजली बोर्ड से पूछा है कि इस घटना का जिम्मेदार कौन है.

उन्होंने बिजली बोर्ड को टैग करते हुए पूछा , अरगोड़ा चौक पर हुई दुर्घटना के लिए जिम्मेवार कारणों पर ध्यान देने की जरुरत है. इतने हाईवोल्टेज के तार इतने नीचे होने चाहिए क्या ? अब बिजली सप्लाई सीधे सरकार नहीं, एक सरकारी कंपनी करती है. प्राइवेट कंपनी जिम्मेवार होती, तो अबतक कई लोग गिरफ्तार हो चुके होते.

अपने इस ट्वीट से उन्होंने सीधे सरकारी लापरवाही पर निशाना साधा है. अगले ट्वीट में उन्होंने स्पष्ट करते हुए लिखा, मुझे बताया गया है कि राज्य में सरकार इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर बहाल करती है, वो बिजली कंपनी का कर्मचारी नहीं होता. उसे देखना है कि सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं. इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर अरगोडा मामले की जांच करे, गडबडियों की रिपोर्ट दे.अरगोड़ा चौक पर विद्युत् स्पर्शाघात से महर्षि अरविन्द प्रभात शाखा के मुख्य शिक्षक विपुल सिंह जी के असामयिक निधन से मर्माहत हूं. ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके परिजनों को यह अपार दुःख सहने की शक्ति.

सांसद महेश पोद्दार ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर कई सवाल खड़े किये हैं उन्होंने कांटाटोली फ्लाईओवर के निर्माण में हो रही देरी पर भी टिप्पणी की है. उन्होंने लिखा, भूमिअधिग्रहण प्रक्रिया के आरम्भ में ही रैयतों का विरोध, पारदर्शिता से काम नहीं होने का आरोप लगा. मामला कोर्ट पहुंचा, स्टे हुआ, तो रुकेगा फ्लाईओवर निर्माण. अधिकारियों द्वारा बिना जनता को भरोसे में लिए काम करने का नतीजा है.
मकसद केवल फ्लाईओवर बनाना हो , तो अतिरिक्त जमीन की जरुरत ही नहीं. 20फुटियाफुटपाथ के चक्कर में मामला फंस रहा है. इसके लिए जिम्मेवार कौन होगा? अव्यवहारिक योजनायें बनाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो, तभी रुकेगा ये सिलसिला. जिनके लिए योजनायें बन रही है वही विरोध कर रहे हैं, लोगों का भरोसा उठ गया है. मतलब या तो हमारा रास्ता गलत है या तरीका. पहले भी अव्यवहारिक तौर – तरीकों की वजह से सिवरेज निर्माण खटाई में पड़ चुका है. ऐसे मसलों पर लगातार सम्बंधित अधिकारियों को लिखता रहा हूं, लेकिन उनका जवाब कभी आता नही. वे समझ नहीं रहे कि जवाब नहीं देंगे तो समस्याएं बढ़ेंगी और लोगों की नाराजगी भी.

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